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17 अक्तूबर 2015

जीवन की सचाई एक आदमी की चार बीवीयां थी।

जीवन की सचाई एक आदमी की चार बीवीयां थी।
वह अपनी चौथी बीवी से बहुत प्यार करता था और उसकी खूब देखभाल करता व उसको सबसे बेहतर समझता था |
वह अपनी तीसरी बीवी से भी प्यार करता था और हमेशा उसे अपने दोस्तों को दिखाना चाहता था। हालांकि उसे हमेशा डर था की वह कभी भी किसी दुसरे इंसान के साथ भाग सकती है।
वह अपनी दूसरी बीवी से भी प्यार करता था।जब भी उसे कोई परेशानी आती तो वे अपनी दुसरे नंबर की बीवी के पास जाता और वो उसकी परेशानी हल कर देती।
वह अपनी पहली बीवी से प्यार नहीं करता था जबकि बीवी उससे बहुत गहरा प्यार करती थी और उसकी खूब देखभाल करती।
एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया और जानता था की जल्दी ही वह मर जाएगा।उसने अपने आप से कहा," मेरी चार बीवीयां हैं, उनमें से मैं एक को अपने साथ ले जाता हूँ...जब मैं मरूं तो वह मरने में मेरा साथ दे।"
तब उसने चौथी बीवी से अपने साथ आने को कहा तो वह बोली," नहीं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता और चली गयी।
उसने तीसरी बीवी से पूछा तो वह बोली की," ज़िन्दगी बहुत अच्छी है यहाँ।जब तुम मरोगे तो मैं दूसरी शादी कर लूंगी।"
उसने दूसरी बीवी से कहा तो वह बोली, " माफ़ कर दो, इस बार मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकती।ज्यादा से ज्यादा मैं तुम्हारे दफनाने तक तुम्हारे साथ रह सकती हूँ।"
अब तक उसका दिल बैठ सा गया और ठंडा पड़ गया।तब एक आवाज़ आई," मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूँ।तुम जहाँ जाओगे मैं तुम्हारे साथ चलूंगी।"
उस आदमी ने जब देखा तो वह उसकी पहली बीवी थी।वह बहुत बीमार सी हो गयी थी खाने पीने के अभाव में।
वह आदमी पश्चाताप के आंसूं के साथ बोला," मुझे तुम्हारी अच्छी देखभाल करनी चाहिए थी और मैं कर सकता थाI"
दरअसल हम सब की चार बीवीयां हैं जीवन में।
1. चौथी बीवी हमारा शरीर है।
हम चाहें जितना सजा लें संवार लें पर जब हम मरेंगे तो यह हमारा साथ छोड़ देगा।
2. तीसरी बीवी है हमारी जमा पूँजी, रुतबा। जब हम मरेंगे
तो ये दूसरों के पास चले जायेंगे।
3. दूसरी बीवी है हमारे दोस्त व रिश्तेदार।चाहें वे कितने भी करीबी क्यूँ ना हों हमारे मरने के बाद हद से हद वे हमारे दफ़नाने तक साथ रहते हैं।
4. पहली बीवी हमारे अमल है।
यही वह चीज़ है जो हमारे साथ रहती है जहाँ भी हम जाएँ.......
कुछ देना है तो इसे दो....
देखभाल करनी है तो इसकी करो....
प्यार करना है तो इससे करो...
Nice line
मिली थी जिन्दगी
किसी के 'काम' आने के लिए..
पर वक्त बीत रहा है
कागज के टुकड़े कमाने के लिए..
क्या करोगे इतना पैसा कमा कर..?
ना कफन मे 'जेब' है ना कब्र मे 'अलमारी..'
और ये मौत के फ़रिश्ते तो
'रिश्वत' भी नही लेते...

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