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16 अक्तूबर 2015

दादरी कांड: काशीनाथ सिंह ने भी लौटाया साहित्य अकादेमी पुरस्कार

साहित्य अकादेमी पुरस्कार लौटाने का एलान करते काशी सिंह।
साहित्य अकादेमी पुरस्कार लौटाने का एलान करते काशी सिंह।
वाराणसी. दादरी कांड जैसी सांप्रदायिक घटनाओं के खिलाफ साहित्यकारों का विरोध प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी तक पहुंच गया है। 'काशी का अस्सी' के मशहूर लेखक काशीनाथ सिंह ने भी साहित्य अकादेमी अवॉर्ड लौटाने का एलान कर दिया है। पुरस्कार लौटाने का एलान करते हुए काशीनाथ सिंह ने कहा कि वे मशहूर कन्‍नड़ लेखक एमएम कुलबर्गी, डॉ. दाभोलकर और गोविंद पंसारे की हत्‍या, दादरी कांड और केंद्रीय मंत्रि‍यों के बयानों से आहत होकर सम्मान लौटा रहे हैं। शहर के सुंदरपुर इलाके के बृज एन्‍क्‍लेव में मौजूद अपने घर पर मीडिया से काशीनाथ सिंह ने यह बात कही। यूपी के ही गौतमबुद्धनगर के दादरी में बीफ खाने की अफवाह के बाद भीड़ ने अखलाक नाम के शख्स की हत्या कर दी थी।
'साहित्य अकादेमी में अपने आदमी बिठाना चाहती है बीजेपी'
काशीनाथ ने पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों को जेटली द्वारा कटघरे में खड़े किए जाने पर गुरुवार को कहा था कि बीजेपी सरकार साहित्य अकादेमी की आजादी को खत्म कर उसमें अपने आदमी बैठाना चाहती है। उन्होंने कहा, 'मैं 23 अक्टूबर का इंतज़ार कर रहा हूं कि उस दिन साहित्य अकादेमी की इमरजेंसी मीटिंग में क्या होता है? मुझे लगता है कि बीजेपी साहित्य अकादमी की आजादी खत्म करना चाहती है और उसे अपने कब्जे में लेना चाहती है।'
काशीनाथ के नाम कई मशहूर रचनाएं
काशी का अस्‍सी के अलावा काशीनाथ सिंह अपना मोर्चा, सदी का सबसे बड़ा आदमी, घर का जोगी जोगड़ा और रेहन पर रग्‍घू जैसी मशहूर रचनाएं भी लिख चुके हैं।
'रेहन पर रग्घू' के लिए मिला पुरस्कार
काशी नाथ सिंह जी के उपन्यास 'रेहन पर रग्घू' को वर्ष 2011 में हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था।
काशी का अस्सी पर बनी फिल्म
डायरेक्टर चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने हाल ही में उपन्यास 'काशी का अस्सी' पर आधारित फिल्म 'मोहल्ला अस्सी' बनाई। सनी देओल स्टारर फिल्म गालियों और रिलीज से पहले लीक होने की वजह से चर्चा में रही थी।
क्या है साहित्य अकादमी अवॉर्ड?

साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की शुरुआत 1954 से की गई। यह पुरस्कार हर साल भारतीय भाषाओं के श्रेष्ठ साहित्य को दिया जाता है। इसमें एक ताम्रपत्र के साथ 1 लाख रुपए दिए जाते हैं। 1955 से अब तक तकरीबन 60 लोगों साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया जा चुका है। सबसे पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार माखनलाल चतुर्वेदी को 1955 में ‘हिमतरंगिणी' के लिए दिया गया था। आचार्य नरेंद्र देव को 1957 में बुद्ध धर्म शास्त्र के लिए मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया। साल 1962 में यह पुरस्कार किसी भी लेखक को नहीं दिया गया था।

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