लखनऊ. बसपा सुप्रीमो मायावती को 2012 के विधानसभा और 2014 के
लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार का मलाल आज तक है। यही वजह है कि अब
उन्होंने पत्थरों के स्मारकों और म्यूजियम बनाने से तौबा कर ली है।
पार्कों पर करोड़ों रुपए फूंकने वाली बीएसपी सरकार की मुखिया ने कहा है,
''अगर अब उनकी सरकार सत्ता में आती है, तो प्रदेश में स्मारक और
म्यूजियम नहीं बनाए जाएंगे। सरकार का पूरा ध्यान प्रदेश की
कानून-व्यवस्था को सुधारने में होगा। साथ ही प्रदेश के डेवलपमेंट पर
ध्यान दिया जाएगा।''
हालांकि, बीते चुनावों में मिली हार के पीछे का कारण मायावती
स्मारकों को बनवाना नहीं मानती हैं। उन्होंने कहा, ''अब हमारी सरकार
प्रदेश की गरीब जनता के लिए काम करेगी। गुंडों, असामाजिक तत्वों को जेल
भेजा जाएगा। बीएसपी किसी धर्म के खिलाफ नहीं है।''
मूर्ति बनवाना नहीं है हार का कारण
लखनऊ में मीडिया से बातचीत में माया ने कहा, ''दलित गुरुओं और
विभूतियों को कभी सम्मान नहीं दिया गया। उनके आदर-सम्मान के लिए ही
स्मारक और म्यूजियम बनवाए गए थे। यह इसलिए भी जरूरी था क्योंकि बीएसपी
अपने गुरुओं के बताए रास्तों पर चलती है। अगर यह हमारी हार का कारण होता
तो हमारा वोट पर्सेंटेज नहीं बढ़ता।''
दलितों का हो रहा शोषण
मायावती ने कहा, ''बीजेपी एंड कंपनी की वजह से ही दलितों का समाज में
शोषण हो रहा है। जब से बीजेपी की केंद्र में सरकार बनी, तभी से दलितों,
आदिवासियों और अतिपिछड़ों को सामाजिक और आर्थिक आधार पर नीचा गिराने की
कोशिश की जा रहा है। बीजेपी और आरएसएस के लोग मौकापरस्त हैं। मोदी सरकार
पूरे देश को सवर्ण व्यवस्था में झोंकना चाहती है और देश को हिंदू
राष्ट्र बनाना चाहती है।''
क्या कहना है बीजेपी का?
इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता विजय पाठक का कहना है, ''लिखे गए पन्नों को पढ़तीं बीएसपी प्रमुख की करीब घंटे भर चली प्रेस कांफ्रेंस स्मारक, पार्कों पर जनता की कमाई का दुरुपयोग किए जाने का माफीनामा है। माया हताश और निराश होकर अनर्गल बयानबाजी कर रही हैं।''
इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता विजय पाठक का कहना है, ''लिखे गए पन्नों को पढ़तीं बीएसपी प्रमुख की करीब घंटे भर चली प्रेस कांफ्रेंस स्मारक, पार्कों पर जनता की कमाई का दुरुपयोग किए जाने का माफीनामा है। माया हताश और निराश होकर अनर्गल बयानबाजी कर रही हैं।''
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