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04 अक्तूबर 2015

ये मोहब्बत क्या है ?

ये मोहब्बत क्या है ?
मेने सब से पूछा
दोस्तो से
जिंदगी से
जवानी से
सुरज से
चाँद से
सितारो से
फूलों से
खुशबू से
चमन से
सोहरत से
दौलत से
आसमान से
जमीन से
हवा से
अल्लाह के फरिसतो से
अल्लाह के वलीयो से और
एक लाख चौबीस हजार कमोबेस अम्बीया किराम से
हजरत आदम अलयहिस्सलाम से लेकर हजरत ईसा अलयहिस्सलाम तक से
लेकिन कोई तसल्ली के सिवा बख्श जवाब न मिला सका फिर आखीरकार तारीख हाथ पकड़ कर मुझे पीछे ले गई बहोत पीछे 1435 साल पीछे ले गइ।
बोहोत रात हो चुकी थी चाँद छुप गया था तारे भी सो चुके थे।
एक अज़ीम हस्ती निहायत नरम दिल पाकीजा मीजाज एक रेजिस्तान की सरजमीन पर छोटीसी झोपडी मे फळीसी चटाइ पर सजदे में गीली आँखों के साथ भीगी पलको मे आंसु लिये सवाली बनकर अपने रब से एक ही बात बार बार दोहरा रहे थै।
" रब्बे हबले उम्मती "
" रब्बे हबले उम्मती "
" रब्बे हबले उम्मती "
"या अल्लाह मेरी उम्मत को बख्श दे"
"या अल्लाह मेरी उम्मत को बख्श दे"
"या अल्लाह मेरी उम्मत को बख्श दे"
दिल और दिमाग ने झिंझोड़ कर कहा ऐ नादान इनसान अब समजा ये देख ये है "मुहब्बत" मेरे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की अपनी उम्मत से जो अपनी गुनाहगार उम्मत के लिए अल्लाह तआला से रातों को जाग जागकर रोते और बख्शिश की दुआ करते है कया शान हे मेरे आका की मुहब्बत मेरे आका ही जानते है और उन पर ही हम अपनी जान कुरबान कर सकते है ।
" सल्लु अलल हबीब "
"सल्लल्लाहु वाला आले ही मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैयहि वसल्लम"
"सुब्हान अल्लाह

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