हैदराबाद. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम)
पार्टी के चीफ असद्दुदीन ओवैसी ने रसोई गैस सब्सिडी छोड़ने की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल को फॉलो किया है। लेकिन दूसरी तरफ यह भी
कहा है कि मोदी की बातें सुनकर उन्हें हिटलर की याद आ जाती है। मोदी के
कट्टर विरोधी ओवैसी हैदराबाद से सांसद हैं। आंध्र और महाराष्ट्र के बाद अब
उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतारने का एलान किया
है।
ओवैसी ने क्या किया?
1. मोदी ने जिस कैम्पेन की बढ़-चढ़कर पब्लिसिटी की, उसका ओवैसी बने हिस्सा
मोदी ने देश के सक्षम लोगों के साथ सांसदों से भी गैस सब्सिडी छोड़ने
के ‘गिव इट अप कैम्पेन’ को फॉलो करने की अपील की थी। 15 अगस्त को लाल किले
से दी स्पीच में भी उन्होंने इसका जिक्र किया था। ओवैसी मोदी के धुर विरोधी
हैं। लेकिन वे इस कैम्पेन का हिस्सा बन गए। उन्होंने न सिर्फ अपनी गैस
सब्सिडी छोड़ दी बल्कि ऑइल कंपनी की तरफ से लेटर ऑफ एप्रिसिएशन मिलने पर
उसे ट्वीट भी किया। बता दें कि देश में अब तक 20 लाख लोगों ने यह सब्सिडी
छोड़ी है। इससे सरकार के 15 हजार करोड़ रुपए बचे हैं।
2. लेकिन मोदी के बयानों को हिटलर जैसा बताया
ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना जर्मनी के तानाशाह हिटलर
से की है। बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार 25 उम्मीदवार उतारने की
तैयारी कर रहे ओवैसी ने बिहार में भाजपा की रैलियों में मोदी के भाषण को
लेकर उन पर निशाना साधा। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि मोदी के बयान
सुन कर मुझे आज के जमाने के हिटलर की याद आ जाती है।' गौरतलब है कि ओवैसी
ने 16 अगस्त को किशनगंज (बिहार) में एक रैली की थी। मुस्लिम बहुल इस इलाके
में उनकी सभा में भारी भीड़ जुटी थी।
ओवैसी ने आंध्र प्रदेश से बाहर पहली बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
में एंट्री ली थी। उन्होंने शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के गढ़
मुंबई सहित 24 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए। इनमें से दो कैंडिडेट्स जीते।
रमजान के महीने में ओवैसी ने यूपी में भी इफ्तार पार्टियों के जरिए नेटवर्क
बढ़ाया।
लालू, नीतीश और राहुल की राह मुश्किल कर सकते हैं आवैसी
ओवैसी की पार्टी बिहार में करीब 25 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। ओवैसी का यह कदम लालू-नीतीश और राहुल के लिए बड़ी परेशानी बन सकता है। बिहार के सीमांचल में कई ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां 15 से 20 फीसदी आबादी मुसलमानों की है। यह वोट अब तक कांग्रेस या आरजेडी को मिलते रहे हैं लेकिन किशनगंज की रैली में उमड़ी भीड़ के बाद जहां ओवैसी खुश हैं वहीं महागठबंधन के नेताओं के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही हैं। एनसीपी पहले ही उनका साथ छोड़ चुकी है। अगर ओवैसी भी मैदान में उतरते हैं तो फिर बीजेपी को इसका फायदा मिलना तय है। लालू यादव तो एमवाई (मुस्लिम-यादव) की ही राजनीति करते रहे हैं। बता दें कि किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर, सहरसा के इलाकों में मुस्लिमों की अच्छी आबादी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन सीटों पर बीजेपी हार गई थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)