कराची/अमृतसर। फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ की कहानी गीता की जिंदगी
में टर्निंग प्वाइंट साबित हुई है। उसे भारत लाने की कवायद के बीच अमृतसर
की झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गूंगे-बहरे दंपती ने दावा किया है कि वह
उनकी बेटी पूजा है। यह परिवार रीगो ब्रिज के पास रहता है। इनके तीन लड़के और
दो लड़कियां हैं। बेटे राजू ने बताया कि मां-बाप कूड़ा बीनने और हम भाई-बहन
भीख मांगने का काम करते हैं। पूजा भी भीख मांगा करती थी। इसी दौरान शायद
स्टेशन के जरिए अटारी बार्डर पर पहुंची और सरहद पार चली गई। टीवी पर जब
गीता का फोटो देखा तो लगा कि वह पूजा है। यह परिवार बिहार का है। 25 साल
पहले रोजी-रोटी की तलाश में अमृतसर आया था ।
रोजे भी रखती है गीता
धार्मिक तौर पर वो हिंदू है। उसनेे अपने कमरे में देवी-देवताओं की
फोटो लगा रखी है। वह दिन में पांच बार पूजा करती है। उसे सिर्फ 193 नंबर
याद है। और यह मालूम है कि उसके सात भाई-बहन भी हैं। वह हिंदी लिखना भी
जानती है। वो शाकाहारी है और रमजान के समय रोजा भी रखती है।
सरबजीत का परिवार गोद लेने के लिए तैयार
सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने गीता को आश्रय देने वाले ईदी
फाउंडेशन से भी संपर्क किया है। उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी
उसे गोद लेने की इजाजत मांगी है। नायब तहसीलदार बनी सरबजीत की बड़ी बेटी
स्वपनदीप का कहना है कि हमारा परिवार गीता को अपनाने को तैयार है। गीता
तीसरी बहन की तरह रहेगी। बहन दलबीर कौर ने कहा, सरकार उसके परिवार की तलाश
जारी रखे। जब तक परिवार नहीं मिल जाता है तब तक वह लोग उसे रखेंगे। अगर
परिवार नहीं भी मिलता है तो वह हमेशा उनके पास रहेगी।
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