सैकड़ो सालों से मैं तन्हा हूँ परेशान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मुसलमान हूँ।
अपने पुरखो की वतनपरस्ती के सबूत ढूंढ रहा हूँ।
इसी मुल्क में पैदा होकर अपना वज़ूद ढूंढ रहा हूँ
सिर्फ चुनावी मोहरा नहीं हूँ
मैं सियासत का हिस्सेदार हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
देश में दंगे करवाने वाले देशभक्ति
हमें सिखाते
जिसने गांधी की हत्या की
देश में उसका मंदिर बनवाते
इनकी नज़रो में तो केवल मैं ही बुरा इंसान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मसलमान हूँ।
भूल गये तुम मेरी हकीकत
जब चारो ओर अँधियारा था
ब्रिटिश हुकूमत को सबसे पहले
मैंने ही ललकारा था
कर्नाटक के मैसूर में जन्मा
मैं ही टीपू सुलतान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
आज मुझसे पूछते हो
देश को मैंने क्या दिया
तो फिर आकर देख लो
आगरे का ताजमहल
और दिल्ली का लालकिला
जिसको तुम सब ढूंढते हो
मैं भारत का वही खोया हुआ
सम्मान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का
मुसलमान हूँ
आज़ादी की खातिर
गर्दन मेने भी कटवाई है
जलियावाला बाग़ में गोली
मैंने भी तो खाई है
फिर भी देशभक्ति की कसौटी
पर में ही सवालिया निशान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
क्या फर्क है तुझमे मुझमे
दोनों देश के लाल है
खून तेरा भी लाल है
खून मेरा भी लाल है
जान से ज्यादा प्यारे
तिरंगे पर मैं भी तो क़ुर्बान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
देश में शांति चाहते है हम
इसीलिए चुप रहते है
तेरी चुभती बातो को भी
ख़ामोशी से सहते है
जिस दिन अपना मुह
खोला "इश्क़ " तो फिर
मैं एक तूफ़ान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
संविधान के दायरे में रहकर
हम अपना हक़ मांगते है
मेरा हक इज़्ज़त से दे वरना.....
दूसरा रास्ता भी जानते है।
आ गया अगर "इश्क़ "अपने रंग में
तो फिर सबके लिए नुक्सान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क
का मुसलमान हूँ।
जब तक मैं हद में हूँ
तब तक सब कुछ हद में है
आ गया अगर मैं हद से बाहर
फिर ना कुछ तेरे बस में है
जब तक चुप हूँ तब तक चुप हूँ
जाग गया अगर मैं तो फिर
घायल शेर समान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मुसलमान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मुसलमान हूँ।
अपने पुरखो की वतनपरस्ती के सबूत ढूंढ रहा हूँ।
इसी मुल्क में पैदा होकर अपना वज़ूद ढूंढ रहा हूँ
सिर्फ चुनावी मोहरा नहीं हूँ
मैं सियासत का हिस्सेदार हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
देश में दंगे करवाने वाले देशभक्ति
हमें सिखाते
जिसने गांधी की हत्या की
देश में उसका मंदिर बनवाते
इनकी नज़रो में तो केवल मैं ही बुरा इंसान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मसलमान हूँ।
भूल गये तुम मेरी हकीकत
जब चारो ओर अँधियारा था
ब्रिटिश हुकूमत को सबसे पहले
मैंने ही ललकारा था
कर्नाटक के मैसूर में जन्मा
मैं ही टीपू सुलतान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
आज मुझसे पूछते हो
देश को मैंने क्या दिया
तो फिर आकर देख लो
आगरे का ताजमहल
और दिल्ली का लालकिला
जिसको तुम सब ढूंढते हो
मैं भारत का वही खोया हुआ
सम्मान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का
मुसलमान हूँ
आज़ादी की खातिर
गर्दन मेने भी कटवाई है
जलियावाला बाग़ में गोली
मैंने भी तो खाई है
फिर भी देशभक्ति की कसौटी
पर में ही सवालिया निशान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
क्या फर्क है तुझमे मुझमे
दोनों देश के लाल है
खून तेरा भी लाल है
खून मेरा भी लाल है
जान से ज्यादा प्यारे
तिरंगे पर मैं भी तो क़ुर्बान हूँ
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
देश में शांति चाहते है हम
इसीलिए चुप रहते है
तेरी चुभती बातो को भी
ख़ामोशी से सहते है
जिस दिन अपना मुह
खोला "इश्क़ " तो फिर
मैं एक तूफ़ान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ
इसी मुल्क का मुसलमान हूँ
संविधान के दायरे में रहकर
हम अपना हक़ मांगते है
मेरा हक इज़्ज़त से दे वरना.....
दूसरा रास्ता भी जानते है।
आ गया अगर "इश्क़ "अपने रंग में
तो फिर सबके लिए नुक्सान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क
का मुसलमान हूँ।
जब तक मैं हद में हूँ
तब तक सब कुछ हद में है
आ गया अगर मैं हद से बाहर
फिर ना कुछ तेरे बस में है
जब तक चुप हूँ तब तक चुप हूँ
जाग गया अगर मैं तो फिर
घायल शेर समान हूँ।
मैं कोई गैर नहीं हूँ इसी मुल्क का मुसलमान हूँ।
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