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18 अगस्त 2015

दोस्तों पिछले दिनों संसद में मुट्ठीभर प्रतीपक्ष के प्रतििरोध और सत्ता पक्ष की हठधर्मिता के कारण संसद में गतिरोध के कारण आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ

दोस्तों पिछले दिनों संसद में मुट्ठीभर प्रतीपक्ष के प्रतििरोध और सत्ता पक्ष की हठधर्मिता के कारण संसद में गतिरोध के कारण आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ ,,संसद में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ,,उपाध्यक्ष राहुल गांधी के पुरज़ोर आक्रामक विरोध प्रदर्शन से सत्तापक्ष हतप्रभ होकर बोखला गया ,,,उम्मीद के ख़िलाफ़ सोनिया गांधी और राहुल गांधी की परफॉर्मेंस ने सरकार के बहुमत के बाद भी सरकार को बेक फुट पर लाकर खड़ा कर दिया ,,,,,,,,,,,संसद में गतििरोध नई बात नहीं भाजपा के प्रतीपक्ष में रहते संसद में शोरशराबा ,,अभद्रता ,,एक घिनौना इतिहास रहा है ,,,,,,,,,,,हमारे देश में हम सांसदों को संसद में जाकर हमारे मुद्दे उठाने के लिए चुनते है ना की संसद में जाकर शोरशराबा कर देश का बहुमूल्य वक़्त बर्बाद करने के लिए ,,लेकिन यह सब होता है ,,इसके लिए हमे ,,हमारे देश के विधि विशेषज्ञों और देश की सरकार को क़ानून और सांसदों की मर्यादा अाचरण नियम बनाने पर विचार करना होगा ,,पुराना क़ानून संसद को चलाने का जो बना है वोह सत्ता पक्ष का गुलाम है इसलिए उस क़ानून को हमे बदलना होगा ,,,दोस्तों हमारे सांसद पांच साल के लिए चुन कर जाते है और देश के मुद्दो पर चर्चा के लिए साल में एक या दो बार दिल्ली में एकत्रित होते है वोह भी दंगा ,,फसाद और शोरशराबा ,,इसका कारण क्या है हमे सोचना होगा ,,संसद चलने का नियम बने ,,जो सांसद एब्सेंट हो उसके खिलाफ कार्यवाही हो ,,उसकी सदस्य्ता बर्खास्तगी हो ,,उस पर मुक़दमा चले ऐसा क़ानून भी बनना चाहिए ,,,हमारे देश के क़ानून में सत्ता पक्ष बहुमत में होता है और संसद चलाने के लिए सत्ता पक्ष ही संसद का अध्यक्ष अपनी पार्टी की विचारधारा का चुन लेता है ,,ऐसे में निष्पक्षता की बात सोचना भी एक मज़ाक है ,,अध्यक्ष पद पर कोई सुप्रीम कोर्ट का जज अगर बैठे और वोह भी चुनाव के बाद तो शायद सभी सांसद काबू में आ सकेंगे ,,एक सांसद अगर कोई सवाल उठाता है ,,एक सांसद अगर किसी मुद्दे पर बहस करना चाहता है तो सत्ता पक्ष का बनाया गया अध्यक्ष नियमों का बहाना बनाकर उसे रोक देता है ,,,जवाब नहीं आता ,,मंत्रियों का स्पष्टीकरण नहीं होता ,,मंत्री जिस मामले में आरोपी होते है उस मामले में मंत्री को साहूकार बनाकर बिठाया जाता है ऐसे में अराजकता का माहोल तो होना ही है ,,,,दोस्तों अगर क़ानून बने के संसद हर माह में दस दिन नियमित आवश्यक रूप से चलेगी और संसद में सभी सदस्यों की उपस्थिति का क़ानून बने ,,सभी सांसद राष्ट्रीय और स्थानीय क्षेत्रीय मुद्दो पर खुलकर अपनी बात कहे ,,,ऐसे में मुद्दे लम्बित नहीं रहेंगे ,,,,सत्ता पक्ष का गुलाम विचारधारा वाला अगर संसद की कार्यवाही की अध्यक्षता करेगा तो पक्षपात सो फीसदी होना ही है ,,ऐसे में ससद में अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट का जज अगर करे तो थोड़ी बहुत निष्पक्षता की उम्मीद हो सकती है और शोर शराबे ,,सत्ता पक्ष ,,प्रतिपक्ष के गतिरोध पर निष्पक्ष निगरानी हो सकती है ,,प्रत्येक सांसद को सवाल उठाने के लिए पाबंद किया जाए ,,,,राष्ट्रिय मुद्दो पर खुलकर बहस हो ,,जो मंत्री आरोपित हो उसे उस मुद्दे पर खुद के लिखित स्पष्टीकरण के अलावा बोलने नहीं दिया जाए ,,,,,,,,फैसला अध्यक्ष करे ,,,एक साल में संसद कमसे कम सात महीिने चलाई जाए ताकि देश के हर मुद्दो पर खुल कर नीति बन सके ,,नए विधेयक पढ़ने का मौक़ा मिल सके बहस हो सके ,,सुप्रीमकोर्ट का जज अध्यक्षता करते हुए सभी की बहस सुनकर बहुमत के आधार के अलावा राष्ट्रहित और देश के क़ानून मर्यादाओं को ध्यान में रखकर अपना फैसला सुना सके ,,,,,,,,,,,,,देश में संसद अगर लगातार चलेगी तो देश के सांसदों पर भी निगरानी रहेगी ,,एक दूसरे की शिकायत होने का डर रहेंगे ,,सांसदों के भी मर्यादित आचरण नियम बने ,,संसद में उपस्थिति का आवश्यक क़ानून बने ,,संसद में हर मुद्दे पर वोटिंग के वक़्त उपस्थिति का क़ानून हो ताकि रिश्वत लेकर वोट के वक़्त बाहर रहकर अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता की मदद करने की परिपाटी पर रोक लग सके ,,,केवल बीमारी असाध्य बीमारी के आलावा संसद से अवकास का कोई प्रावधान न हो और सांसदों के खिलाफ फौजदारी मुक़दमे दर्ज करने का क़ानून भी बनाया जाए जो देश का क़ानून तोड़ने पर पक्ष ,,प्रतिपक्ष जो भी हो उसके खिलाफ सुप्रीमकोर्ट के जज के अध्यक्ष होने पर उनकी अनुमति से मुक़दमा चलाने का हक़ एक आदमी को भी दिया जाए वरना संसद में चोर चोर मोसेरे भाई बनकर देश की जनता को लूटने का कार्यक्रम बनाकर जनता को गुमराह भी करते है ,,,ऐसे में संसद के गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रत्येक सांसद के सवाल पर बहस ज़रूरी हो उसे अवसर दिया जाए ,,कोई नियमों का बहाना बनाकर हंगामा नहीं हो ,,,अगर प्रस्ताव पास होता है तो सरकार रहे वरना सरकार घर बैठे ऐसा नियम बनने पर सरकार खुद ही विवादित मुद्दो ,,विवादित प्रस्तावों को ससंद में नहीं रखेगी ,,,,,,,,,,जो भी प्रस्ताव हो पहले सर्वदलीलय बैठक में बहुमत से चर्चा कर आम राय बनाई जाए वरना संसद में ऐसे प्रस्ताव जो विवादित हो राठौड़ी करते हुए पेश नहीं किये जाए ,,अगर सर्वदलीय बैठक में प्रतीपक्ष हठधर्मिता रखता है तो फिर देश की जनता से ऐसे प्रस्तावों पर जनमत संग्रह करवाकर प्रस्ताव पारित करवाया जाए ऐसा क़ानून बनने पर देश को निष्पक्ष लोकसभा अध्यक्ष भी मिल सकेगा और देश का वक़्त भी बर्बाद होने से बचेगा ,,साथ ही देश को नीति बनाने के लिए सांसद जो जीतकर आते है वोह संसद में एवेलेबल भी मिलेंगे ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या ऐसा नरेंद्र मोदी क़ानून बना सकेंगे ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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