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26 जुलाई 2015

जुबाने हिन्द ,,उर्दू के दुश्मनो ,

जुबाने हिन्द ,,उर्दू के दुश्मनो ,,जुबाने इंक़लाब ,,,जुबाने आज़ादी ,,जुबाने मौसीक़ी ,,,जुबाने तहज़ीब के दुश्मनो ,,,साजिशकर्ताओं ,,ज़रा अपनी आँखों से पर्दा उठाओ ,,ज़रा नफरत का खेल बंद करो ,,,ज़रा इतिहास पर नज़र डालो ,,देखो ,,समझो ,,,,,,,,,,यह उर्दू जुबां जिसे तुम रौंदना चाहते हो ,,यह तुम्हारी अपनी विरासत की जुबां है ,,अगर तुम राष्ट्रभक्त हो तो ज़रा समझो यह जुबां तुम्हारा गुरुर है ,,,तुम्हारी वीरता की गाथा है ,,,यह उर्दू जुबां तुम्हारी आज़ादी की लड़ाई है ,,तुम्हारी तहज़ीब ,,तुम्हारे सुकून की सच्ची कहानी है ,,,,,,,,,,,मेरे उर्दू के दुश्मन बने मेरे दोस्तों ,,,ज़रा इतिहास पर नज़र तो डालो ,,,,आज़ादी का पहला इंक़लाब सिर्फ उर्दू जुबां ने इस देश को दिया ,,अंग्रेज़ों के खिलाफ जंग लड़ने का होसला सिर्फ उर्दू जुबां ने दिया ,,इतिहास गवाह है जब अंग्रेज़ सरकार ने आज़ादी का आंदोलन दबाने के लिए आज़ादी की लड़ाई को उकसाने वाले साहित्य को ज़ब्त किया तब चार सो से भी ज़्यादा किताबे ,,पर्चे उर्दू ज़ुबान के इंक़लाब साहित्य ज़ब्त किये गए थे जबकि दूसरी सभी ज़ुबानों के इंक़लाबी ज़ब्त पर्चे सो से भी कम थे ,,मेरे उर्दू के दुश्मन भाइयों ,,,अंग्रेज़ों को हमारे भारत देश से खदेड़ने के लिय उर्दू जुबां में ही रणनीति बनाई जाती थी ,,अँगरेज़ सिर्फ उर्दू जुबां वालों से ही डरते थे उर्दू जुबां के जानकारों पर ही नज़र रखा करते थे क्योंकि अंगेज़ों की निगाह में उन्हें खदेड़कर भारत को आज़ादी दिलाने वाली सिर्फ एक जुबां केवल उर्दू जुबां ही थी ,,सच भी यही साबित हुआ ,,भारत देश आज़ाद हुआ तब उर्दू देश की जुबां थी हुकूमत की सरकारी जुबां थी ,,,,,,,,,मेरे उर्दू के ज़ालिम दोस्तों ज़रा सोचो ,,अगर उर्दू जुबां ना होती तो ज़रा सोचो ,,ज़रा समझो ,,,क्या पुरे विश्व में आप सीना तानकर ,,सर ऊंचाकर ,,गर्व से कह सकते थे ,,,,,,,,,,,,,,,,,सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ,,हम बुलबुले इसके ,,यह गुलिस्तां हमारा ,,,,सो मेरे उर्दू के दुश्मन भाइयो नफरत छोडो ,,जुबां किसी कॉम की बबोती नहीं ,,किसी समाज का अक्स नहीं यह तो देश की जुबां है ,,बहादुरी की जुबां है ,,,आज़ादी की लड़ाई की ,,देश के गौरव की ,,विश्व भर में देश को सारे जहा से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा कहने की जुबां है ,,तो दोस्तों ख्याल बदलो ,,विचार बदलो ,,अपने ही हाथो ,, अपने ही इतिहास ,,अपनी ही जुबां ,,,,अपनी ही तहज़ीब का क़त्ल मत करो यार , उर्दू से तुम्हारी अगर दुश्मनी है तो सोचिये एक उदाहरण ,,एक कुत्ता जो कहीं से एक हड्डी लाकर अपने मुंह में चबाने की कोशिश अपनी भूख मिटाने के लिए करता दिखता है और उस हड्डी को चबाते चबाते उस कुत्ते के जबाड़े छिल जाते है उनमे से खून बहता नज़र आता है और वोह उस खून को चूसता है ,, अपने ही ज़ख्म से निकले खून को वोह चूसकर सोचता है के इस हड्डी के खून को में चूस रहा हूँ और सुकून महसूस करता है ,,मेरे उर्दू के दुश्मन दोस्तों प्लीज़ अपनी सोच बदलो ,,,,,,,,एक नया हिन्दुस्तान ,,एक नई तहज़ीब उर्दू ,,,हिंदी ,,संस्कृत और दूसरी ज़ुबानों को साथ लेकर फिर से बनाओ ताके आदर्श हिन्दुस्तान ,,आधुनिक हिन्दुस्तान ,,प्यारा हिन्दुस्तान मेरा महान हिन्दुस्तान ,,,सारे जहा से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ,,यह हिन्दुस्तान हो सके ,,कहलाया जा सके ,,,उठो ,,,उठो ,,नफरत छोडो ,,गुस्सा थूको ,,थोड़ा गद्दारी छोडो ,,राष्ट्रीयता का भाव खुद में पैदा करो और मेरे इस हिन्दुस्तान को फिर से सारे जहा से अच्छा बनाने में मेरी मदद करो ,,मदद करो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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