नई दिल्ली. 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों के मामले
में फांसी की सजा पाने वाले याकूब मेमन की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट
ने मंगलवार को खारिज कर दी। चीफ जस्टिस एच.एल. दत्तू, जस्टिस टी.एस. ठाकुर
और जस्टिस ए.आर. दवे ने यह फैसला दिया। अब याकूब को 30 जुलाई की सुबह सात
बजे फांसी होना तय माना जा रहा है, क्योंकि क्यूरेटिव पिटीशन उसके बचने के
लिए आखिरी कानूनी विकल्प था।
क्या है क्यूरेटिव पिटीशन?
- सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद दायर की जाने वाली पिटीशन
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं होने पर अपील का आखिरी विकल्प
- क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर जज करते हैं।
- अगर वक्त हो तो वही बेंच सुनवाई कर सकती है, जिसने रिव्यू पिटीशन को खारिज किया हो
- क्यूरेटिव पीटिशन की सुनवाई कोर्टरूम में नहीं, बल्कि चैंबर में होती है। इस दौरान केवल जज ही मौजूद रहते हैं
12 मार्च 1993 को क्या हुआ था:
- मुंबई में दोपहर 1.30 से 4.10 तक 13 घमाके किए गए थे।
- मौत: 257, घायल: 713
- नुकसान: करीब 27 करोड़ रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा था।
- पहला धमाका-दोपहर 1.30 बजे, मुंबई स्टॉक एक्सचेंज
- दूसरा धमाका-दोपहर 2.15 बजे, नरसी नत्था स्ट्रीट
- तीसरा धमाका-दोपहर 2.30 बजे, शिव सेना भवन
- चौथा धमाका-दोपहर 2.33 बजे,एयर इंडिया बिल्डिंग
- पांचवा धमाका-दोपहर 2.45 बजे, सेंचुरी बाज़ार
- छठा धमाका-दोपहर 2.45 बजे, माहिम
- सातवां धमाका-दोपहर 3.05 बजे,झावेरी बाज़ार
- आठवाँ धमाका-दोपहर 3.10 बजे,सी रॉक होटल
- नौवां धमाका-दोपहर 3.13 बजे,प्लाजा सिनेमा
- दसवां धमाका-दोपहर 3.20 बजे,जुहू सेंटूर होटल
- ग्यारहवां धमाका-दोपहर 3.30 बजे,सहार हवाई अड्डा
- बारहवां धमाका-दोपहर 3.40 बजे,एयरपोर्ट सेंटूर होटल
- इसके आधे घंटे बाद एक और कार ब्लास्ट हुआ।
- सेकंड वर्ल्ड वार के बाद इतने भारी मात्रा में पहली बार आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था।
ब्लास्ट के बाद कोर्ट में क्या हुआ?
इस मामले में 2007 में विशेष टाडा कोर्ट ने याकूब समेत 10 अन्य
दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। बाकी की सजा-ए-मौत को सुप्रीम कोर्ट ने
उम्र कैद में बदल दिया। इसी मामले में अवैध हथियार रखने के दोषी अभिनेता
संजय दत्त 6 साल की सजा काट रहे हैं।
याकूब मेमन पर क्या है आरोप
टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई, 2007 को याकूब को आपराधिक साजिश का दोषी करार
देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई थी। इसके बाद उसने बॉम्बे हाईकोर्ट, सुप्रीम
कोर्ट और राष्ट्रपति तक के पास अपील की। लेकिन उसे राहत नहीं मिली।
याकूब मेमन मुंबई सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड है। टाइगर मेमन के
भाई याकूब के वकीलों ने अदालत में दलील थी कि वह सिर्फ धमाकों की साजिश में
शामिल था, लेकिन धमाकों को अंजाम देने में शामिल नहीं था।
सीए याकूब बना टेररिस्ट, जेल से भी कर रहा पढ़ाई
याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन मुंबई बम धमाकों के मास्टरमाइंड टाइगर मेमन
का छोटा भाई है। याकूब पेश से चार्टर्ड अकाउंटेंट था और वह अपने परिवार का
सबसे का सबसे ज्यादा पढ़ा-लिखा शख्स है। याकूब अकाउंट से जुड़ी फर्म चलाता
था। इस फर्म के जरिए वह अपने भाई टाइगर मेमन का गैरकानूनी फाइनेंस संभालता
था। मेमन इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर्स की
पढ़ाई कर रहा है। पिछले साल याकूब मेमन ने एमए की फाइनल ईयर की परीक्षा दी
है। वह तब से जेल में है जब नेपाल पुलिस ने उसे काठमांडू से गिरफ्तार करके
भारतीय जांच एजेंसी सीबीआई को सौंपा था। याकूब ने 2013 में इग्नू से
अंग्रेजी में पोस्ट ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की है। फांसी की सजा सुनाए
जाने के बाद से वह नागपुर सेंट्रल जेल में बंद है।
पुनर्विचार और दया याचिका हो चुकी है खारिज
21 मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के स्पेशल कोर्ट की फांसी
की सजा को बरकरार रखने का फैसला सुनाया। 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने मेमन
की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए उसकी मौत की सजा बरकरार रखी थी।
याकूब की दया याचिका भी पिछले साल राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं। इस महीने
महाराष्ट्र सरकार ने उसके डेथ वारंट पर भी साइन कर दिया है। अब 30 जुलाई
की सुबह फांसी देने की पूरी प्रक्रिया क्या रहेगी, 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों के मामले में फांसी की सजा
पाने वाले याकूब मेमन की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को
खारिज कर दी। चीफ जस्टिस एच.एल. दत्तू, जस्टिस टी.एस. ठाकुर और जस्टिस
ए.आर. दवे ने यह फैसला दिया। अब याकूब को फांसी की सजा होना तय माना जा रहा
है, क्योंकि क्यूरेटिव पिटीशन उसके बचने के लिए आखिरी कानूनी विकल्प था।
उसे 30 जुलाई को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी जाएगी।
फांसी देने के लिए जेल में तैयारी शुरू हो गई है। जल्लाद भी पहुंच गया
है। याकूब को फांसी यार्ड में रखा गया है। वहां से फांसी दी जाने वाली जगह
कुछ ही दूरी पर है। यह संयोग है कि जिस दिन उसने इस दुनिया में कदम रखा
था, उसी तारीख और उसी महीने में उसे फांसी दी जाने वाली है। इस जेल में
करीब 30 वर्ष बाद किसी कैदी को फांसी दी जाने वाली है। अब तक 23 कैदियों को
फांसी दी जा चुकी है। याकूब को फांसी देने की पूरी प्रक्रिया जेल मैनुअल
के अनुसार करीब पांच घंटे चलेगी।
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