आपका-अख्तर खान

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30 जून 2015

अपने अमल से....

अपने अमल से अपनी सदाक़त चली गई
मग़रूर हो गये तो हुकूमत चली गई
जिन लौगो ने मां-बाप की अज़मत को ना समझा
हाथौ से उनके दोस्तो जन्नत चली गई
रौजे रखे नमाज पढी
बांट दी ज़कात
मारा जो हक़ किसी का
ईबादत चली गई

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