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04 जून 2015

मैगी विवाद: अब देश में नहीं मिलेगी मैगी, नेस्ले इंडिया बाजार से वापस लेगा स्टॉक


मैगी विवाद: अब देश में नहीं मिलेगी मैगी, नेस्ले इंडिया बाजार से वापस लेगा स्टॉक
 
नई दिल्ली.  बढ़ते दबाव के बीच नेस्ले इंडिया ने मैगी को बाजार से वापस लेने का फैसला किया है। मैगी के लगातार फेल होते नमूनों और विभिन्न राज्यों में लगाए जा रहे बैन के कारण उसे ऐसा करने पर मजबूर होना पड़ा। मैगी विवाद को लेकर अब तक ये एक्शन लिए जा चुके हैं-
 
1. नेस्ले इंडिया ने बाजार से मैगी वापस लेने का फैसला किया।  
2. असम सरकार ने मैगी के चिकन फ्लेवर को 30 दिन के लिए बैन किया।  
 
3.  तमिलनाडु राज्य उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग (TSCDRC) ने अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित और प्रिटी जिंटा को नोटिस भेजा। राज्य में मैगी को 3 महीने के लिए बैन कर दिया गया है।
 
4.  जम्मू-कश्मीर में मैगी और नेस्ले कंपनी के बाकी प्रोडक्ट्स पर एक महीने का बैन।
 
5.  गुजरात में मैगी और सनफीस्ट के नूडल्स की बिक्री पर एक महीने की रोक लगी।
 
6.  मुंबई के रिटेलर संगठन फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने 25 हजार प्रोविजनल स्टोरों पर मैगी बैन कर दी।
 
7.  उत्तराखंड और केरल में भी मैगी बैन।
 
8.  बुधवार को दिल्ली में मैगी की सेल पर 15 दिन के लिए रोक लगाई गई।
 
9.  राजस्थान के अजमेर में 2250 किलो मैगी जब्त कर पूरे जिले में इसकी बिक्री रोक दी गई है।
 
10.  भारतीय सेना ने देश भर में फैली आर्मी कैंटीन में मैगी की बिक्री पर बुधवार को रोक लगा दी। आर्मी ने अपने जवानो को भी इसे ना खाने की भी सलाह दी है।
 
11.  बिग बाजार नाम से रीटेल चेन चलाने वाले फ्यूचर ग्रुप ने भी फैसला किया है कि जब तक मैगी की गुणवत्‍ता को लेकर चल रही जांच के अंतिम नतीजे नहीं आते तब तक वह अपने किसी आउटलेट पर मैगी नहीं बेचेगा। 
 
12.  केंद्र सरकार की ओर से संचालित केंद्रीय भंडारों में भी मैगी नहीं बेचने का फैसला लिया गया है।
 
मैगी विवाद पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने मांगी रिपोर्ट
इससे पहले, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने मैगी विवाद में अधिकारियों की बैठक बुलाई है। बैठक में अलग-अलग राज्यों से मैगी पर आई रिपोर्ट पर चर्चा होगी। वहीं, फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से मैगी विवाद पर PMO को रिपोर्ट भी सौंपी जानी है। इससे पहले बुधवार को केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने जानकारी दी है कि नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमिशन को मैगी से जुड़े मामले में उचित कार्रवाई करने को कहा गया है।
 
भास्कर के 1 लाख से ज्यादा रीडर्स ने की थी मैगी को बैन करने की मांग
dainikbhaskar.com के 1 लाख से ज्यादा रीडर्स ने भास्कर के फेसबुक पेज पर कमेंट और रिप्लाई कर कहा था कि  'मैगी में है मांस और लेड तो बैन करने में देरी क्यों'। लोगों की हेल्थ से जुड़े इस मुद्दे पर भास्कर पहले दिन से ही कैम्पेन चला रहा है। इसके तहत आए अब तक के कमेंट और रिप्लाई को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें...

कई राज्यों में चल रही है मैगी की जांच
बता दें कि देश के कई  राज्यों में मैगी की जांच चल रही है। केरल में सरकारी दुकानों से मैगी हटाने के आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं। हरियाणा, गुजरात, और पश्चिम बंगाल में भी मैगी के नमूनों को जांच के लिए भेजा गया है। हालांकि, नेस्ले इंडिया ने दावा किया है कि बाहरी प्रयोगशाला तथा उसकी खुद की जांच में इन उत्पादों को 'खाने के लिए सुरक्षित’ पाया गया है। 
 
मुंबई में मैगी के दो सैंपल जांचे गए, हालांकि इसमें कोई भी हानिकारक तत्व नहीं मिला। लेकिन गोरखपुर और कोलकाता में जांच के दौरान मैगी के नमूने खतरनाक पाए गए। मैगी का विज्ञापन कई बड़े बॉलीवुड स्टार्स कर चुके हैं। 
 
हरियाणा-चंडीगढ़ में हुए टेस्ट में कुछ भी हानिकारक नहीं
 
मैगी नूडल्स के नमूने को हरियाणा सरकार ने क्लीन चिट दे दी है। हरियाणा की सरकारी लैबोरेटरी द्वारा जारी एक रिपोर्ट में मैगी के नमूने को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के मानकों के अनुरुप पाया गया है।

वहीं, चंडीगढ़ में मैगी के नमूने जांच में बिल्कुल सही पाए गए हैं। इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-1 और पेज -2 व सेक्टर-35 से मैगी के सैंपल सेक्टर-11 स्थित लैबोरेटरी में भेजे थे, जहां से रिपोर्ट चंडीगढ़ प्रशासन को सौंप दी गई है। जिसमें तीनों सैंपल मानकों पर खरै उतरे हैं।
 
मैगी में लेड : अब तक क्या निकले निष्कर्ष?
उत्तर प्रदेश फरवरी 2014 में बने मैगी के पैकेट्स में स्वाद बढ़ाने वाले केमिकल एमएसजी और सीसे की मात्रा ज्यादा पाई गई। 2.25 पार्ट्स पर मिलियन की तय सीमा के बजाय 17.2 पीपीएम सीसा पाया गया।
दिल्ली मैगी मसाला के 13 में से 10 नमूनों में सीसा तय सीमा से ज्यादा था। 5 नमूनों में मोनोसोडियम ग्लूटामेट मिला। जबकि पैकेट पर इसकी जानकारी नहीं लिखी गई थी। सरकार ने केंद्रीय भंडारों में मैगी की बिक्री पर रोक लगाई।
केरल दिल्ली सरकार के टेस्ट में मैगी के फेल हो जाने के बाद केरल ने अपने 1300 सरकारी केंद्रों पर मैगी प्रतिबंधित कर दिया। हालांकि, बुधवार को एर्नाकुलम में हुई जांच में सीसा तय सीमा में पाया गया।
महाराष्ट्र सोमवार को शुरुआती जांच में मैगी में सीसा तय सीमा से ज्यादा नहीं मिला। लेकिन अब अलग-अलग बैच के पैकेट की जांच की जा रही है।
कर्नाटक यहां भी एफडीए की शुरुआती जांच में मैगी सही पाई गई लेकिन नमूनों को बेंगलुरू की लैब में दोबारा भेजा गया है।
गोवा एफडीए ने यहां मैगी को क्लीन चिट दे दी। रैंडम सैम्पल की जांच के बाद कहा है कि राज्य में जो पैकेट बिक रहे हैं, उनमें सीसे की ज्यादा मात्रा नहीं है।
असम असम सरकार ने मैगी के चिकन फ्लेवर को 30 दिन के लिए बैन किया।  
यहां जांच जारी पश्चिम बंगाल, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मैगी के नमूनों की जांच जारी है।
 
130 देशों में बिकता है मैगी, मार्केट कैप 10,000 करोड़ रुपए घटा
स्विट्जरलैंड की बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले दुनियाभर के 130 देशों में हर साल 5.2 अरब मैगी पैकेट बेचती है। भारत में नेस्ले के रेवन्यू में मैगी की हिस्सेदारी 20% है। मैगी की बिक्री घटने के बाद नेस्ले इंडिया के शेयर्स में 11.5% की गिरावट आ चुकी है। ताजा विवाद के बाद अब तक नेस्ले इंडिया के मार्केट कैप में 10,000 करोड़ रुपए की कमी आने का अनुमान है। इसमें 6600 करोड़ रुपए की कमी तो सिर्फ एक दिन में आ गई।
 
अकेले MSG ही नहीं कुछ और तत्व भी हैं हानिकारक

मैगी में पाए गए मोनोसोडियम ग्लूटोमेट और लेड तो सेहत के लिए हानिकारक हैं ही इसके अलावा कुछ और तत्व ऐसे हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। ये फूड प्रोडक्ट्स में पाए जाते हैं।
 
कृत्रिम मिठास: आर्गनिक हनी, ब्राउन राइस और मेपल सीरप में पाया जाता है। अस्पार्टेम, सेक्रीन, सुक्रालोस, एकसुलफेम और नियोटेम। इन आर्टिफिशियल स्वीटनर्स से सिर और सीने में दर्द, नजर  कमजोर होना, हियरिंग लॉस और जुकाम हो सकता है। 
 
सिंथेटिक फूड कलर्स: जूस और कन्फेशनरी आइटम्स बनाने में इनका इस्तेमाल किया जाता है। इन कलर्स में एक हिस्सा लेड और आर्सनिक का होता है। इससे बच्चों को एलर्जिक रिएक्शन्स हो सकते हैं। 
 
बीएचए और बीएचटी: ये दो केमिकल्स आमतौर पर तेलों में पाए जाते हैं। इनसे शरीर में कैंसर फैलाने वाले तत्वों को बढ़ावा मिलता है। 

एमएसजी: यह दो तरह का होता है। प्राकृतिक तौर पर यह टमाटर और मशरूम में पाया जाता है। कई बार इसका प्रयोग फूट मटेरियल का टेस्ट बढ़ाने के लिए किया जाता है। इससे एसिडिटी, अपच, सांस लेने में दिक्कत और ज्यादा पसीना जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। लंबे समय तक इसके सेवन से किडनी और ब्रेन को नुकसान हो सकता है।  

मैगी के दावे और एफडीए का जवाब
 
दावा: मैगी में लेड नहीं है
एफडीए: कोई भी फूड प्रोडक्ट जो अनाज से बनाया जाता जैसे गेहूं तो उसमें कुछ हानिकारक मेटल जैसे लेड हो सकते हैं। इसकी वजह यह है कि ये फसलें जमीन से पोषण लेती हैं और जमीन में लेड की मात्रा अलग-अलग हो सकती है। अब लैब में इस बात की जांच की जा रही है कि कितना प्रतिशत लेड का मैगी सहित अन्य फूड आइटम्स में है। 
 
दावा: मैगी में अलग से एमएसजी नहीं मिलाया जाता
एफडीए: एमएसजी दो तरह से मिलता है। टमाटर और मशरूम में यह प्राकृतिक तौर पर पाया जाता है। कुछ ब्रांड में इसे प्रोसेस के जरिए एमएसजी मुक्त किया जाता है। हालांकि यह भी सही है कि कुछ फूड आइटम्स में टेस्ट बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसकी ज्यादा मात्रा कई मायनों में उपभोक्ता के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।  
 
दावा: एमएसजी से प्रोटीन और केल्सियम मिलता है।
एफडीए: इन दावों को लैब में परखा जा रहा है। प्रोटीन और कैल्सियम की मात्रा को वेरीफाइ किया जा रहा है। 
 
दावा: मैगी हल्का भोजन है जो फल और दूध के साथ लिया जाता है।
एफडीए: आमतौर पर बच्चे ढेर सारी मैगी खाते हैं। भरपेट मैगी खाना या रोज इसे खाना बेहद हानिकारक है।

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