आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

26 जून 2015

ऐ माहे रमजान

ऐ माहे रमजान जरा आहिस्ता चल,,,
इबादत करना अभी बाकी है ।।।
कुछ और भी गुनाह हैं, जिनकी माफी अभी बाकी है ।।।
कुछ अपने हैं जिनके लिये दुआ करना अभी बाकी है ।।।
कुछ गैर बचे हैं जिनके दिल मे प्यार बसाना अभी बाकी है
।।।
कुछ फर्ज़ हैं जिनको अदा करना बाकी है ।।।
कुछ और गुनाहो की तौबा करना अभी बाकी है ।।।
अभी आंसू और बहाना बाकी है ।।।
मेरे रब को मनाना अभी बाकी है ।।।
ऐ माहे रमजान ज़रा आहिस्ता चल,,,
बहुत से कर्ज़ चुकाना अभी बाकी है ।।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...