आपका-अख्तर खान

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17 जून 2015

आखिर बहार क्या लिखते

खीज़ा नसीब थे आखिर बहार क्या लिखते
बिछड़ के तुमसे रातो का हिसाब क्या लिखते
तुम्हारे फूल से चहेरे पर रहती थी महक
तुम्हारे बाद चमन का शबाब क्या लिखते
भुलादो हमको यह लिखा था आखरी खत में
तुम्हारे आखरी खत का जवाब क्या लिखते
मेरे नसीब में लिखी थी फ़क़त तुमसे युही जुदाई
इतनी सी बात पर हम किस्मत ख़राब क्या लिखते

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