उम्र अब उस दहलीज़ पे
आकर खड़ी है ,
तस्वीरे जब निगाहों से
धुंदली होने लगी है ,
चलने दो मुसलसल
जिंदगी के सफर को ,
वादों इरादों में इज़ाफ़ा करना
अब सब फ़िज़ूल है ।
आकर खड़ी है ,
तस्वीरे जब निगाहों से
धुंदली होने लगी है ,
चलने दो मुसलसल
जिंदगी के सफर को ,
वादों इरादों में इज़ाफ़ा करना
अब सब फ़िज़ूल है ।
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