शिवपुरी(ग्वालियर). शहर के पास एक गांव में गैंगरेप पीड़ित
आदिवासी महिला पर दबंगों ने दो दिन तक दुष्कर्म और अमानवीय अत्याचार किए।
अपने बच्चों व अंधे सास-ससुर के साथ अकेली रहने वाली इस महिला को दबंग पहले
तो उसे झोंपड़ी से बाल पकडकर खींचते हुए गांव के बीच ले गए। यहां उन्होंने
उसे पहले पेड़ से बांधकर पीटा फिर भरी दोपहरी में खुले चबूतरे पर बांधकर
बारी-बारी से गैंगरेप किया।
दबंगों के जुल्म का सिलसिला शुक्रवार से रविवार तीन दिन अनवरत चलता
रहा। लेकिन 70 घरों की इस बस्ती में किसी भी शख्स ने न तो आरोपियों का
विरोध किया न समय रहते पुलिस को घटना की जानकारी दी। आरोपी हर रोज महिला को
झोंपड़ी से खीचकर गांव के बीच लाते और जुल्म की दास्तां को दोहराकर उसे घर
के बाहर फेंक देते। तीसरे दिन महिला खुद हिम्मत जुटाकर जंगल के रास्ते
भागते हुए गोवर्धन थाने पहुंची तब मामला उजागर हुआ। जिला मुख्यालय से 80
किमी दूर ग्राम पंचायत ठेवला के मजरा कैमरारा में न इन दिनों अजीब सा
सन्नाटा पसरा हुआ है। मंगलवार की सुबह बस्ती के चबूतरे पर कई आदिवासी पुरुष
बैठे थे, लेकिन कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था।
गांव में महिला के साथ तीन दिन तक गैंगरेप के साथ अमानवीय जुल्म हुए
लेकिन मामले की गंभीरता को दबाने के लिए एसडीओपी रामराज सिंह तोमर ने पूरे
मामले को कुपोषण की तरफ मोड़ दिया। एसडीओपी का दावा था कि गांव में 50
बच्चे कुपोषित हैं जबकि गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रामदई यादव ने बताया
कि अप्रैल में तीन वर्षीय चाना पुत्री संतम आदिवासी की मौत हुई थी, वो
कमजोर नहीं थी और न कुपोषित थी, बल्कि बुखार आने पर मौत हुई थी। इसके अलावा
बस्ती में किसी की मौत नहीं हुई।
रामकटोरी ने पीड़िता को बताया था ‘डायन’
गैंगरेप पीड़िता की जेठानी ने बताया कि जुल्म से एक दिन पहले बस्ती में
रहने वाली अशोक की पत्नी रामकटोरी दौड़ती हुई मेरी देवरानी की झोंपड़ी में
गिर गई। वो बोली कि मैं माता हूं और इसमें रहने वाली डायन है, ये सबको मार
देगी, सबको खा जाएगी। इसके बाद से ही मेरी देवरानी पर अत्याचार शुरू हो
गए। हमारे घर में मर्द नहीं है। गांव के दबंगों के आतंक से हम बुरी तरह डर
गए। अगर वे हमारे साथ भी ऐसा ही करते तो हम क्या कर लेते।
आरोपियों का हुआ डीएनए गोवर्धन थाना पुलिस मंगलवार को सभी छह आरोपियों
को लेकर जिला अस्पताल आई। जहां उन सभी का डीएनए टेस्ट कराया गया। यह टेस्ट
इसलिए कराया गया, ताकि जांच में मदद मिल सके।
ज्यादती में गांव की दो महिलाएं भी शामिल
पीड़िता की बेटी व उसकी जेठानी ने बताया कि रामकटोरी पर इससे पहले कभी
भी कोई माता नहीं आईं। वहीं मामले में आरोपी बने जनवेद की पत्नी, बैराड़ में
रहकर गलत काम करती है। वो भी उस समय बस्ती में आई थी। इन दोनों महिलाओं ने
ही पीड़िता को डायन प्रचारित किया था। जब उस पर अत्याचार होता था तो ये
महिलाएं वहां मौजूद रहती थीं।
अब भी बस्ती वाले चुप
बस्ती में 70 परिवार रह रहे हैं, लेकिन पीड़ित परिवार की महिलाओं के
अलावा कोई दूसरा कुछ भी कहने को तैयार नहीं। चबूतरे के पास रहने वाले एक
महिला-पुरुष से जब पूछा तो वे बोले कि हम तो काम करने बाहर गए थे, रात में
ही लौटकर आए। चबूतरे पर बैठे युवकों और बच्चों ने भी चुप्पी साध रखी थी।
जल्द से जल्द पूरी होगी इन्वेस्टिगेशन
आरोपियों का कराया गया डीएनए टेस्ट इन्वेस्टिगेशन का एक पार्ट है। हम बहुत जल्दी इस मामले में सभी जरूरी कार्रवाई पूरी करके चालान पेश करेंगे। काफी कुछ बातें अभी इसमें हैं, जो इन्वेस्टिगेशन के दौरान सामने आएंगी। इस मामले में कोई कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून अपना काम पूरी मुस्तैदी से करेगा। यूसुफ कुर्रेशी, एसपी शिवपुरी
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