एक मुसलमान के अपने जीवन के लिए कोई ऐसा सिद्धांत नहीं जो केवल उसे रोज़े में पाबन्द करता हो ,,मुसलमान की ज़िंदगी कांच की तरह साफ़ होना चाहिए जो रोज़े में ही नहीं हमेशा होना चाहिए ,,रोज़े तो एक ट्रेनिंग है इस्लाम से भटके हुए लोगों को फिर से याद दिलाने के लिए इसलिए दोस्तों कभी यह ना कहो में रमज़ान में यह नहीं करता ,,वोह नहीं करता ,,जो इस्लाम के खिलाफ है जो गलत है वोह रोज़े में नहीं हो तब भी गलत है ,,झूंठ ,,फरेब ,,बेईमानी ,,मक्कारी या फिर कोई भी गुनाह हो रोज़े में ही नहीं हर रोज़ गुनाह कहलाता है ,,इसलिए केवल रोज़े में ही बुरे काम छोड़ने का बखान ना करे हमेशा अपनी ज़िंदगी को विनम्र ,,बेदाग़ ,,,,हंसमुख ,,हरदिलअज़ीज़ होने का स्वभाव ,,सत्य ,,अहिंसा ,,सत्यमेव जयते के सिद्धांत के तहत धर्मयुद्ध जेहाद ,,,,मज़लूमों के इन्साफ की लड़ाई ,,अपनी वजह से किसी को दुःख तकलीफ ना पहुंचे ,,अपने मुल्क की तरफ आँख उठाने वाले की आँख फोड़ने का जज़्बा ,,ईमानदारी ,,दयानतदारी का जज़्बा ही इस्लाम का मूल मंत्र है ,,,,,इसलिए पुरे बारह महीने ,,पूरी ज़िंदगी अमल की ज़िंदगी हो खुदा की बारगाह में सर झुकाने की तौफ़ीक़ हो इसी दुआ के साथ आपका अख्तर खान अकेला ,,,,,
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