जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ललित मोदी को
लेकर एक और विवाद तूल पकड़ता नजर आ रहा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि
चंबल के बीहड़ में बना धौलपुर का महल सरकारी संपत्ति है। वसुंधरा राजे और
ललित मोदी ने मिलकर इसे निजी लक्जरी होटल में तब्दील कर दिया है। धौलपुर के
इस महल को राज निवास पैलेस के रूप में जाना जाता है।
कांग्रेस ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर ललित मोदी के
साथ एक निजी कंपनी के साथ मिलकर धौलपुर पैलेस पर अवैध कब्जा करने का आरोप
लगाया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि राजे से अलग
रहे उनके पति हेमंत सिंह ने एक अदालत के समक्ष स्वीकार किया था कि यह पैलेस
राजस्थान सरकार की संपत्ति है। ललित मोदी की कंपनी नियंत हेरिटेज होटल्स
ने राज्य सरकार के इस संपत्ति को एक होटल में बदल दिया। इसमें सौ करोड़
रुपए का निवेश किया।
वसुंधरा के पास नहीं है कोई प्रापर्टी
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे धौलपुर की पूर्व रियासत की
महारानी कहलाती हैं। उनके पास न तो किसी तरह की भूमि है न ही कोई मकान अथवा
अन्य जायदाद। पिछले विधानसभा चुनावों के समय वसुंधरा राजे धौलपुर में बीस
बीघा कृषि भूमि की मालकिन जरूर थीं, लेकिन इस बार यह जमीन भी उनके पास नहीं
रही। बीते विधानसभा चुनावों के नामांकन के साथ प्रस्तुत किए गए संपत्ति के
विवरण में उन्होंने यह जानकारी दी है। वो तीन करोड़ 96 लाख 28 हजार की कुल
संपत्ति की मालकिन हैं। इनमें दो करोड़ 37 हजार रुपए के शेयर, बांड और
डिबेंचर हैं जबकि 26 लाख 62 हजार 190 रुपए वसुंधरा राजे के नाम बैंक और
अन्य वित्तीय संस्थाओं में जमा हैं। उनके पास 55 लाख 50 हजार की अन्य
परिसंपत्तियां हैं जिनका खुलासा नहीं किया गया है। साथ ही उनके पास 38 लाख
55 हजार 300 रुपए कीमत का सोना है। नकदी के रूप में उनके पास साढ़े सोलह
हजार रुपए हैं। इन पांच सालों में वसुंधरा राजे की संपत्ति में एक करोड़ 19
लाख का इजाफा हुआ है। वैसे उपलब्धि के तौर देखा जाए तो वसुंधरा राजे इन
पांच सालों में कर्ज से मुक्त जरूर हो गई हैं।
2007 में हुआ था वसुंधरा के बेटे और पति के बीच समझौता
7 मई 2007 को धौलपुर की जिला अदालत में सालों से चल रहे इस राज परिवार
के एक मुकदमें में सुलह हो चुकी है। जिसके अनुसार मुख्यमंत्री वसुंधरा
राजे धौलपुर की पूर्व महारानी बनी रहेंगी। उनके 'पूर्व महारानी' कहलाने पर
उनके पति 'पूर्व महाराजा' हेमंत सिंह को कोई आपत्ति नहीं होगी। यह शर्त उस
सुलह का हिस्सा है जो हेमंत सिंह और उनके सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह के बीच 7
मई 2007 को भरतपुर की एक अदालत में हुई।
अदालत में पेश पिता और पुत्र के इस सुलहनामे के बाद धौलपुर राज घराने
में पिछले 29 साल से चला आ रहा संपत्ति विवाद निपट गया। समझौते के मुताबिक
दिल्ली स्थित सभी संपत्ति हेमंत सिंह रखेंगे जबकि धौलपुर व अन्य स्थानों की
सभी संपत्तियों पर दुष्यंत सिंह का हक होगा। गौरतलब है कि ग्वालियर घराने
की तत्कालीन राजमाता स्वर्गीय विजय राजे सिंधिया ने 1978 में अपने नाबालिग
नवासे दुष्यंत सिंह की ओर से धौलपुर की अदालत में संपत्ति के बंटवारे का
दावा पेश किया था।
खास बात यह कि इस मामले में वसुंधरा राजे के भी मुख्यमंत्री रहते हुए
11 सितंबर, 2005 को बयान दर्ज हुए थे। अदालत की ओर से नियुक्त कमिश्नर के
सामने दिल्ली में अपने पुत्र दुष्यन्त सिंह के पक्ष में दिए बयान में
वसुंधरा राजे ने कहा था कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत धौलपुर
राजघराने की संपत्ति का स्वामित्व दुष्यंत सिंह का है। अब धौलपुर का शाही
महल 'सिटी पैलेस', बवरगमां पैलेस और आगरा, शिमला, बनारस व अन्य स्थानों पर
मौजूद चल अचल सम्पत्ति पर सांसद दुष्यंत सिंह का स्वामित्व होगा। इनमें
मौजूद हीरे-जवाहरात व दूसरे कीमती शाही सामान पर भी उनका ही हक होगा।
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