वेरावल (गुजरात)। पवित्र ज्योतिर्लिंग सोमनाथ में अब सिर्फ
हिंदुओं को ही प्रवेश मिलेगा। गैर हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश के लिए
मंदिर ट्रस्ट के ऑफिस से विशेष अनुमति लेनी होगी। यह सूचना मंदिर परिसर में
लगे बोर्ड पर चस्पा की गई है। इस वजह से सोमनाथ मंदिर इस समय मीडिया की
सुर्खियों में है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में
स्थित सोमनाथ मंदिर की गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग
के रूप में होती है। इस मंदिर की भव्यता ही कुछ ऐसी है कि यहां लाखों की
संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालुओं के साथ विभिन्न धर्मों से संबंध रखने
वाले विदेशी सैलानी भी आते हैं। इसी वजह से मंदिर में सिर्फ हिंदुओं को
प्रवेश देने का मामला विवाद का कारण भी बन रहा है। इसी क्रम में हम आज हम
बात कर रहे हैं, भव्य सोमनाथ मंदिर के इतिहास की।
इतिहासकारों की मानें तो इसे 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका
पुनर्निर्माण कराया गया। प्राचीन भारतीय इतिहास और आधुनिक भारत के इतिहास
में सोमनाथ मंदिर को वर्ष 1024 में महमूद गजनवी ने तहस-नहस कर दिया था।
मूर्ति को तोड़ने से लेकर यहां पर चढ़े सोने-चांदी तक के सभी आभूषणों को
लूट लिया गया था। इतना ही नहीं वह हीरे-जवाहरातों को भी लूटकर अपने देश
गजनी लेकर चला गया था। साथ ही गजनबी ने यहां के शिवलिंग को तोड़ने का
प्रयास भी किया था। हालांकि, शिवलिंग के न टूटने पर गजनबी ने आस-पास आग
लगवा दी थी।
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