पटना. गया से बीती एक मई को अगवा किए गए डॉ. पंकज गुप्ता
बुधवार की सुबह अपनी पत्नी डॉ. शुभ्रा गुप्ता के साथ अपने घर पहुंच गए।
पुलिस का दावा है कि उनके दबाव में अपराधियों ने डॉक्टर दंपती को रिहा किया
गया है। जबकि सूत्रों का कहना है कि डॉक्टर और अगवा करने वालों के बीच
लेन-देन होने के बाद अपराधियों ने दंपती को लखनऊ से रिहा किया। यूपी पुलिस
ने इस मामले में आरोपी अजय सिंह को आठ अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार किया
है।
डॉक्टर दंपती को लखनऊ में छुपा रखा था
यूपी के आईजी (एसटीएफ) सुजीत पांडेय ने बताया कि अगवा किए गए डॉक्टर
दंपती को लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर के मखदुमपुर चौकी के नजदीक शारदा
अपार्टमेंट में छुपाकर रखा था। डॉक्टर की ऑडी और अपहरण में इस्तेमाल की गई
फॉर्च्युनर गाड़ी भी पुलिस ने बरामद कर ली है।
रिटायर्ड डीएसपी का बेटा है आरोपी
अजय सिंह बिहार पुलिस के रिटायर्ड डीएसपी मंगल सिंह का बेटा है। जबकि
उसके चाचा आईजी रहे हैं। आरोपी अजय के एक भाई पटना नगर निगम के अधिकारी
हैं। अजय ने यूपीएससी की परीक्षा की दिल्ली में तैयारी भी की थी। लेकिन
सफलता नहीं मिलने पर उसने अपराध की दुनिया में पैर रखा था। अजय सिंह चतरा
लोकसभा क्षेत्र से चंद्रशेखर सिंह की पार्टी से चुनाव भी लड़ चुका है। अजय
ने जयपुर जेल में रहते हुए भी तरैया से विधानसभा का चुनाव लड़ने की इजाजत
मांगी थी, लेकिन नहीं मिली थी ।
जयपुर के हीरा व्यापारी की पत्नी को किया था अगवा
अजय सिंह की गिनती देश के सबसे बड़े अपहर्ताओं में होती है। पहले ये
बिहार से बाहर अपहरण किया करता था। अजय सिंह राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार
चर्चा में तब आया था जब उसने फरवरी, 2003 में जयपुर से हीरों के बड़े
व्यापारी रश्मिकांत दुर्लभजी की पत्नी सुमेधा दुर्लभजी को मार्निंग वाक
करते वक्त उन्हें अगवा कर लिया था। हीरा व्यापारी का परिवार भाजपा नेता
लालकृष्ण आडवाणी के काफी करीब था। देशव्यापी ऑपरेशन के बाद साठ वर्षीया
सुमेधा दुर्लभजी को फरीदाबाद बरामद किया गया था। अजय सिंह तब भी अपने
साथियों के साथ पकड़ा गया था।
मिली थी ताउम्र कैद की सज़ा
जयपुर अपहरण में अजय को आजीवन कैद की सजा मिली। अजय अक्तूबर, 2011
में पैरोल पर छूटकर आया था। महीने भर बाद जेल लौटना था, लेकिन वह नहीं
लौटा। इसके बाद अपने गिरोह को फिर से तैयार कर अपहरण को अंजाम देता रहा।
पुलिस अधिकारी बन कर अगवा करने में इस गिरोह को महारत हासिल थी।
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