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11 मई 2015

आरएसएस का यूएस पर निशाना पूछा, क्या लोकतंत्र का वैश्विक ठेकेदार है अमेरिका dainikbhaskar.com May 11, 2015, 21:59 PM IST Print Decrease Font Increase Font Email Google Plus Twitter Facebook COMMENTS आरएसएस का यूएस पर निशाना पूछा, क्या लोकतंत्र का वैश्विक ठेकेदार है अमेरिका नई दिल्ली. संघ के मुखपत्र अर्गेनाइजर में छपे एक लेख में आरएसएस ने अमेरिका पर जमकर निशाना साधा है। ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन नाम के दो इंटरनेशनल एनजीओ के बचाव में आईं अमेरिकी की दलीलों के खिलाफ आरएसएस ने सोमवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। आरएसएस ने दोनों एनजीओ पर भारतीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अमेरिका द्वारा दोनों संगठनों का बचाव करने पर सवाल उठाए हैं। 'अमेरिका को भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए' आरएसएस के मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ में छपे 'द अन-सिविल इंटरवेंशन' नाम के लेख में कहा गया है कि अमेरिका को भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। आरएसएस ने सवाल करते हुए अमेरिका से पूछा है कि क्या वह लोकतंत्र का वैश्विक ठेकेदार है? इसके साथ ही सवाल किया गया है कि क्या अमेरिका ऐसे तथाकथित गैर लाभकारी और गैर राजनीतिक एनजीओ को अपने देश में कानूनों के उल्लंघन की इजाजत देगा? 'अमेरिकी एजेंसियों के तौर पर काम करते हैं एनजीओ' आरएसएस ने कहा कि ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन जैसे एनजीओ के बचाव में उतरकर और भारत से स्पष्टीकरण की मांग करके अमेरिका ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। अमेरिका ने खुद के लोकतांत्रिक अधिकारों के वैश्विक ठेकेदार मानने की आशंकाओं की पुष्टि कर दी है। इसके साथ ही अमेरिका की कार्रवाई से यह भी साबित हो जाता है कि कि ऐसे एनजीओ अमेरिकी एजेंसियों के तौर पर कार्य करते हैं। 'विदेश नीति में हस्तक्षेप के साधन हैं एनजीओ' अर्गेनाइजर में छपे लेख में कहा गया है, 'यदि अमेरिका इस काम के लिए या किसी देश के अधिकार आधारित मुद्दे उठाने के लिए विदेशी फंड के मुद्दे पर साफ होकर सामने आना चाहता है तो उसे अपने देश की संप्रभुता और सांस्कृतिक लोकाचार का सम्मान करना होगा। आरएसएस ने कहा है कि ऐसा न होने पर एनजीओ-वाद हमेशा ही सिविल सोसाइटी के नाम पर विदेश नीति में हस्तक्षेप का एक साधन माना जाएगा.' 'शक पैदा करता है एनजीओ का कामकाज' आरएसएस ने कहा कि इन दोनों एनजीओ (ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन) का कामकाज उनकी गैर लाभकारी और गैर राजनीतिक संस्था होने और उनके कामकाज को लेकर शक पैदा करता है। ऐसे एनजीओ और संस्थाओं को विदेशी फंडिंग को लेकर की जा रही भारत की कार्रवाई ने अमेरिका को परेशानी में डाल दिया है। आरएसएस ने साफ कहा है कि, 'अमेरिका का बिना सोचे समझे दोनों अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के बचाव में उतरना और सबसे बड़े लोकतंत्र से इस बारे में स्पष्टीकरण की मांगना ही इन एनजीओ के अमेरिकी एजेंसी होने की उन आशंकाओं की पुष्टि करता है। संपादकीय में कहा गया कि आठ हजार से ज्यादा एनजीओ तीन साल तक रिटर्न दाखिल न करने को लेकर विदेशी अंशदान (नियामक) कानून (एफसीआरए) के तहत लाइसेंस रद्द होने की कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं और एनजीओ पेशे में लगे फोर्ड फाउंडेशन और ग्रीनपीस जैसे अग्रणी संगठनों पर उनके फंड को लेकर सवाल उठाए गए हैं।


आरएसएस का यूएस पर निशाना पूछा, क्या लोकतंत्र का वैश्विक ठेकेदार है अमेरिका
 
नई दिल्ली. संघ के मुखपत्र अर्गेनाइजर में छपे एक लेख में आरएसएस ने अमेरिका पर जमकर निशाना साधा है। ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन नाम के दो इंटरनेशनल एनजीओ के बचाव में आईं अमेरिकी की दलीलों के खिलाफ आरएसएस ने सोमवार को तीखी प्रतिक्रिया दी। आरएसएस ने दोनों एनजीओ पर भारतीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अमेरिका द्वारा दोनों संगठनों का बचाव करने पर सवाल उठाए हैं।
'अमेरिका को भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए'
आरएसएस के मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ में छपे 'द अन-सिविल इंटरवेंशन' नाम के लेख में कहा गया है कि अमेरिका को भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। आरएसएस ने सवाल करते हुए अमेरिका से पूछा है कि क्या वह लोकतंत्र का वैश्विक ठेकेदार है? इसके साथ ही सवाल किया गया है कि क्या अमेरिका ऐसे तथाकथित गैर लाभकारी और गैर राजनीतिक एनजीओ को अपने देश में कानूनों के उल्लंघन की इजाजत देगा?
'अमेरिकी एजेंसियों के तौर पर काम करते हैं एनजीओ'
आरएसएस ने कहा कि ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन जैसे एनजीओ के बचाव में उतरकर और भारत से स्पष्टीकरण की मांग करके अमेरिका ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। अमेरिका ने खुद के लोकतांत्रिक अधिकारों के वैश्विक ठेकेदार मानने की आशंकाओं की पुष्टि कर दी है। इसके साथ ही अमेरिका की कार्रवाई से यह भी साबित हो जाता है कि कि ऐसे एनजीओ अमेरिकी एजेंसियों के तौर पर कार्य करते हैं।
'विदेश नीति में हस्तक्षेप के साधन हैं एनजीओ'
अर्गेनाइजर में छपे लेख में कहा गया है, 'यदि अमेरिका इस काम के लिए या किसी देश के अधिकार आधारित मुद्दे उठाने के लिए विदेशी फंड के मुद्दे पर साफ होकर सामने आना चाहता है तो उसे अपने देश की संप्रभुता और सांस्कृतिक लोकाचार का सम्मान करना होगा। आरएसएस ने कहा है कि ऐसा न होने पर एनजीओ-वाद हमेशा ही सिविल सोसाइटी के नाम पर विदेश नीति में हस्तक्षेप का एक साधन माना जाएगा.'
'शक पैदा करता है एनजीओ का कामकाज'
आरएसएस ने कहा कि इन दोनों एनजीओ (ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन) का कामकाज उनकी गैर लाभकारी और गैर राजनीतिक संस्था होने और उनके कामकाज को लेकर शक पैदा करता है। ऐसे एनजीओ और संस्थाओं को विदेशी फंडिंग को लेकर की जा रही भारत की कार्रवाई ने अमेरिका को परेशानी में डाल दिया है। आरएसएस ने साफ कहा है कि, 'अमेरिका का बिना सोचे समझे दोनों अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के बचाव में उतरना और सबसे बड़े लोकतंत्र से इस बारे में स्पष्टीकरण की मांगना ही इन एनजीओ के अमेरिकी एजेंसी होने की उन आशंकाओं की पुष्टि करता है। संपादकीय में कहा गया कि आठ हजार से ज्यादा एनजीओ तीन साल तक रिटर्न दाखिल न करने को लेकर विदेशी अंशदान (नियामक) कानून (एफसीआरए) के तहत लाइसेंस रद्द होने की कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं और एनजीओ पेशे में लगे फोर्ड फाउंडेशन और ग्रीनपीस जैसे अग्रणी संगठनों पर उनके फंड को लेकर सवाल उठाए गए हैं।

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