कोलकाता. प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार पश्चिम बंगाल दौरे पर आए नरेंद्र मोदी
ने रविवार को कोलकाता के दक्षिणेश्वर में कालीबाड़ी मंदिर जाकर मां काली
के दर्शन किए। इसके बाद आसनसोल में उन्होंने 16,000 करोड़ रुपए की लागत से
आधुनिक बनाए गए इस्को के बर्नपुर इस्पात कारखाने का उद्घाटन किया। इस मौके
पर उन्होंने जमकर ममता बनर्जी की और बंगाल सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा
कि बंगाल सरकार के सहयोग के कारण बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद का समाधान
हो गया। इस दौरान ममता बनर्जी भी मंच पर मौजूद थीं। मोदी ने कहा, ''हम टीम
इंडिया के रूप में काम कर रहे हैं। अगर विकास करना है तो पूर्वी क्षेत्र को
इसमें शामिल करना होगा। जब तक बंगाल, कोलकाता मजबूत नहीं होगा तब तक
पूर्वी हिस्से का विकास नहीं होगा। दूसरी हरित क्रांति के लिए सबसे अधिक
संभावनाएं पूर्वी भारत में हैं। बंगाल के आगे बढ़ने से बिहार, असम जैसे
पूर्वी राज्यों में भी विकास होगा।''
एक साल में रखी गई मजबूत नींव
इस मौके पर पीएम ने कहा, ''देश में नई सरकार को आए साल भर हुए हैं।
मजबूत आर्थिक के लिए नींव रख दी गई है। एक साल के भीतर पूरा विश्व एक स्वर
से कह रहा है कि भारत आज दुनिया का सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला देश बन
गया है।'' उन्होंने पिछली सरकार के कार्यकाल की असफलता गिनाते हुए कहा कि
इससे पहले घोटाले, घपले की खबरें आती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है।
काली मंदिर में की पूजा
राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी और बीजेपी के प्रदेश नेताओं के साथ पीएम
सुबह आठ बजे के करीब काली मंदिर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने 15 मिनट तक
मंदिर में पूजा-अर्चना की। जब तक पीएम मंदिर में थे परिसर को आम भक्तों के
लिए बंद रखा गया था। मंदिर से निकलने के बाद मोदी बेलूर मठ गए जहां
उन्होंने रामकृष्ण मिशन से जुड़े संतों से मुलाकात की। काली मंदिर में पीएम
ने गुजराती में एक संदेश भी लिखा।
स्वामी विवेकानंद के कमरे में जाकर की प्रार्थना
काली मां का दर्शन करने के बाद पीएम बेलूर मठ पहुंचे और सबसे पहले
वहां स्वामी विवेकानंद के कमरे में गए। अपने आदर्श स्वामी विवेकानंद के
कमरे में उन्होंने कुछ देर तक रुक कर प्रार्थना की। हावड़ा के बेलूर मठ में
नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद की समाधि पर ध्यान लगाया। इस दौरान
बेलूर मठ के संत भी उनके साथ मौजूद रहे। बता दें कि स्वामी विवेकानंद बेलूर
मठ के इसी आश्रम में रहते थे। यहां उनका वह कमरा भी है जहां ठहरते थे।
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