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02 मई 2015

दोस्तों सूफी ,,संतो ,,वली ,,महापण्डितों के साथ जिसने भी धोखा ,,फरेब और सियासत का खेल खेला है

दोस्तों सूफी ,,संतो ,,वली ,,महापण्डितों के साथ जिसने भी धोखा ,,फरेब और सियासत का खेल खेला है ,,,, उसे दुखी होना पढ़ा है और उसके साथ वोह लोग भी दुखी होते है जो इन लोगों का अपमान ,,इन लोगों का तिरस्कार ,,इन लोगों के साथ झूंठ ,,फरेब और सियासत का नंगा खेल होता देख कर भी या तो इन ठग नेताओ के हमराह बनते है,,, या फिर चुप्पी साधकर,,, इस बुराई को पनपने देते है ,,,जी हाँ दोस्तों में बात कर रहा हूँ वली ऐ हिन्द ,,,सुल्ताने हिन्द ,,ख्वाजा गरीब नवाज़ की ,जिनकी इबादत और नेकनीयती की वजह से ,,,खुदा ने उन्हें नवाज़ा ,,एक ख़ास दर्जा दिया ,,,एक ऐसा दर्जा देकर विश्व का हर बादशाह इनकी चोखट पर सर झुका कर खुद को गोरवानेवित महसूस करता है ,,लेकिन दोस्तों ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम पर हो रही सियासत और इस सियासत के नाम पर,,,, सूफी संतो की मान मर्यादाये ताक़ में रख कर,,, देश में जो गंदा सियासी खेल चला है ,,लूटपाट चली है ,,खादिमों की चुप्पी ,,मौलाना मौलवियों ,,मुफ्ती क़ाज़ियों की ख़ामोशी ने ,,,आज देश को अराजकता की तरफ बढ़ा दिया है ,,ख्वाजा गरीब नवाज़ के नाम पर सियासी लोग बढ़े नेताओ की ठगी ,,उन्हें छोटा बनाती जा रही है ,,ऐसे नेताओ की बद्तमीज़िया ,,बद तहज़ीबिया ,,सर से ऊपर हो जाने से ,,यह नेता और इनके साथ पूरा देश मुसीबत और अराजकता के दौर में है ,,,,,,,,,,,,,साईबाबा को गालियां बकी जाती है ,,,ख्वाजा गरीब नवाज़ के दरबार में खुद को ख्वाजा गरीब नवाज़ से ऊंचा ओहदे वाला समझने की भूल करने वाले,,प्रधानमंत्री ,,सियासी पार्टियों के सिर मोर ,,ख्वाजा की चोखट पर खुद आकर देश के अमन ,,चेन ,,सुकून ,,खुशहाली ,,तरक़्क़ी की दुआ माँगना अपना अपमान समझते है ,,,स्थिति यह है के अपने अपने बंगलों में कुछ लोगों को बुलाया जाता है ,,,एक चादर ली जाती है ,चादर पर हाथ लगाकर फोटु खिजवाया जाता है और फिर इन हष्ट पृष्ठ नेताओ की तरफ से रियासती ठाठ से चादर पेश कर इनके प्रतीनिधी अख़बार और टीवी की खबर बनाते है ,,सभी जानते है ,,कोई अगर मरजुल मोत पर हो ,,,बीमार हो ,,चल फिर नहीं सकता हो ,,गंभीर संकट में हो ,,,तो अपने प्रतीनिधी से एवज़ी चादर या प्रतीकात्मक दुआ मांग सकता है,, लेकिन अगर सब कुछ ठीक है और केवल सियासत के लिए ,,एक रस्म के रूप में ,,ख्वाजा गरीब नवाज़ को धोखा दिया जा रहा है ,,तो यक़ीन मानिए ,,, ऐसे लोग कभी खुश नहीं रह सकते और ऐसा आप और हम देख भी रहे है ,,यह गलती इन नेताओ की नहीं ,,यह गलती ख्वाजा के दरबार में बैठे उन लोगों की भी है ,,जो वहां बैठ कर ऐसी बदतमीज़ी ,,ऐसी सियासत ,,ऐसी चादरों को स्वीकार करते है ,,उन मुफ्तियों उन क़ाज़ियों उन मौलानाओ की है जो इन बेहूदा सियासी हरकतों पर लगाम नहीं कस्ते उलटे ऐसी बेहूदा हरकतों में शामिल होकर ऐसी फरेबी चादरों को महिमामंडित करते है ,,नतीजा प्रकृति के प्रकोप का शिकार पुरे देश को होना पढ़ता है ,,,नेताओ के साथ जुड़े लोगों को ,,देश को खिमियाज़ा भुगतना पढ़ता है ,,,तो दोस्तों उठो ,,और समझाओ ,,के ख्वाजा गरीब नवाज़ ,,आपकी किसी चादर के मोहताज नहीं ,,अगर दिल से चादर पेश करना चाहते हो ,,,तो खुद जाइए ,,अपना सर उनकी चोखट पर झुकाइये ,,देश और देस के लोगों के लिए अल्लाह से खुशहाली ,,तरक़्क़ी की दुआ मांगिये ,,यक़ीनन देश ,,महंगाई , अराजकता के माहोल से अल्लाह के हुक्म से कोई हल ज़रूर निकलेगा और खुशियां होंगी ,,खुशहाली होगी ,,सियासी पार्टियां जो भी हो उन्होंने ख्वाजा का तिरस्कार कर देख लिया है ,,सजाये भुगत ली है और आज ज़मीन पर है ,,,सरकार की फजीहत हो रही है ,,तो जनाब सुधरो ज़रा सुधरो ,,मन और श्रद्धा नहीं है ,,,तो चादर मत भेजो ज़रूरी नहीं,,, लेकिन अगर सियासत नहीं कर रहे ,,तो उठो खुद जाओ ख्वाजा की चोखट पर,,, अल्लाह से दुआ मांगो फिर देखिये क्या परिवर्तन आता है सियासत में भी देश की खुशहाली में भी ,,,, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है बदल खुद को वली ,,पीर ,,फ़क़ीर ,,साधू ,,संत ,,देवी देवताओं का अपमान बंद कर इस पर सियासत करना बंद करो वरना तुम्हारा और तुम्हारी सियासी पार्टियों का हिंदुस्तान के इतिहास में नाम लेवा भी कोई नहीं होगा ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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