दिल तो पागल है
जो एक पगली से
प्यार करता है ,,
रोज़ लड़ती है झगड़ती है
शक करती है
पागलों की तरह से
हर रोज़ हरकत करती है
फिर भी
दिल तो पागल है
इसी पगली सिर्फ इसी पगली से
प्यार करता है
क्योंकि दिल जानता है
उसका यह पागलपन
सिर्फ मेरे प्यार में
सिर्फ मेरे लिए
सिर्फ मुझे खो देने के डर से होता है
इसीलिए कहता हूँ
दिल भी पागल है
दिल जिससे लगा है वोह भी पागल है ,,,अख्तर
जो एक पगली से
प्यार करता है ,,
रोज़ लड़ती है झगड़ती है
शक करती है
पागलों की तरह से
हर रोज़ हरकत करती है
फिर भी
दिल तो पागल है
इसी पगली सिर्फ इसी पगली से
प्यार करता है
क्योंकि दिल जानता है
उसका यह पागलपन
सिर्फ मेरे प्यार में
सिर्फ मेरे लिए
सिर्फ मुझे खो देने के डर से होता है
इसीलिए कहता हूँ
दिल भी पागल है
दिल जिससे लगा है वोह भी पागल है ,,,अख्तर
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