मुम्ताज़ुद्दौल्ला (नवाब फारुख अली खान )टोंक रियासत के छटे शासक(नवाब) थे
आप का जन्म 16 अगस्त 1885 को हुआ था नवाब सादात अली खान साहिब की
मृत्यु के बाद आप उस दौर में नवाब बने जब अग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध पुरे
भारत वर्ष में अंतिम चरण का विरोध चल रहा था आप ने कुल सात महीने टोंक की
गद्दी पर शासन किया यह ऐसा दौर था जिस में टोंक के मुस्लिम भारत छोड़ कर
पाकिस्तान जारहे थे और टोंक खाली होने को था एक तरफ टोंक के लोग टोंक को
छोड़ चुके थे तो दूसरी तरफ पाकिस्तान से आये हिन्दू भाइयो को टोंक
में बसना था नवाब साहब एक बेहद बुद्धिमान व्येक्ति थे उन्होंने पाकिस्तान
से आये हिन्दू भाइयो को उन ख़ाली घरो में ठहरया जो मुस्लिम छोड़ कर चले गए
थे जगह न होने पर उनको मस्जिदो में रहने की जगह दी वही दूसरी और वो लोग जो
हिन्दुतानी हुकूमत के रोकने के बावजूद भारत में नही रुक रहे थे और
पाकिस्तान जारहे थे को अपनी बुद्धिमानी से रोक साथ ही मेवात क्षेत्र के
लोगो और कायमखानीयो को और अन्य मज्लुमिन को टोंक में पुलिस सुरक्षा में
बुलाया और बसाया जिन्होंने टोंक से गए लोगो की पूर्ति की जब पूरा देश
हिन्दू -मुस्लिम के नाम पर कत्ले आम और फसाद में डूबा था उस वक्त हमारा
टोंक हिन्दू मुस्लिम भाईचारे में डूबा था एक तरफ हिन्दू भाइयो को बसाया
जारहा था तो दूसरी तरफ जो मुस्लिम भाई टोंक छोड़ कर जारहे थे को सुरक्षित
भेजा जारहा था तो वही पाकिस्तान और देहली की और से आने वाले मज़्लूमिन
हिन्दू - मुस्लिमो को जिन्होंने आप ना सब कुछ उस दौर के कत्ले आम में
खोदिया था उन्हें बसाया जारहा था नवाब साहब अपनी तीर्व बुद्धि के लिय
बहुत जल्द मशहूर होगये और आपने टोंक वालो और टोंक के बेहतर भविष्य के लिय
अपनी मांगे रखने हेतु जनवरी में देहली जाने लगे 7 जनवरी 1948 में रस्ते
में ही आप का आकस्मिक देहांत होगया यह किस प्रकार हुआ मन्ना है की हार्ट
अटैक के कारन हुआ तो कुछ इस बात को नकारते है लकिन यह तय था की टोंक और
टोंक के लोगो ने एक बेहतर रहनुमा खोदिया था यह टोंक का सबसे बड़ा दुर्भाग्य
रहा जिसे टोंक को आगे भुगतना पड़ा है और पड़रहा है..... मुमताज़ खान
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