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29 मई 2015

उत्तराखंड बाढ़: 7 हजार किराया देकर ठहरे अफसर खा रहे थे मटन, चिकन

फाइल फोटो: उत्तराखंड में 2013 में आई बाढ़ में पत्थर के नीचे दबा शरीर।
फाइल फोटो: उत्तराखंड में 2013 में आई बाढ़ में पत्थर के नीचे दबा शरीर।
नई दिल्ली. उत्तराखंड में जून, 2013 में आई बाढ़ से मची तबाही के दौरान जब लाखों लोग बिना खाने और पानी के दिन गुजारने को मजबूर थे, उस समय राहत के काम में जुटे राज्य सरकार के अफसर मटन, चिकन, दूध, पनीर और गुलाब जामुन के मजे ले रहे थे। आरटीआई के जरिए जानकारी मांगने पर पता चला है कि अफसर सात हजार रुपए रोजाना के किराए पर होटल में टिककर रिलीफ का काम देख रहे थे। यही नहीं, राहत और बचाव के काम में बड़े वित्तीय घोटाले की बात भी सामने आई है। उत्तराखंड के सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की है।
आधे लीटर दूध की कीमत 194 रुपए वसूली
आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक आधे लीटर दूध की कीमत 194 रुपए वसूली गई। यही नहीं, दो पहिया वाहनों को डीजल की सप्लाई की गई और एक ही व्यक्ति को दो बार राहत दी गई। एक ही दुकान से तीन दिनों में 1800 रेन कोट खरीदे गए। राहत के काम में लगे हेलिकॉप्टर में ईंधन भरने के लिए 98 लाख रुपए का पेमेंट किया गया।
बाढ़ से पहले ही राहत का काम
बाढ़ के बहाने उत्तराखंड में फर्जी बिलिंग के जरिए किस कदर लूट मची थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिथौरागढ़ में बाढ़ से जुड़ा राहत और बचाव का काम 22 जनवरी, 2013 में ही शुरू हो गया था। उत्तराखंड में बाढ़ जून, 2013 में आई थी। वहीं, कुछ जगहों पर रिलीफ का काम 28 दिसंबर, 2013 को शुरू हुआ और 16 नवंबर, 2013 को खत्म हो गया। यानी काम शुरू होने से 43 दिन पहले ही खत्म हो गया।
12 पेज का आदेश
नेशनल एक्शन फोरम फॉर सोशल जस्टिस से जुड़े भूपेंद्र कुमार की शिकायत पर उत्तराखंड के सूचना आयुक्त ने 12 पेज के आदेश में कहा है, 'अपीलकर्ता की ओर से पेश रिकॉर्ड को देखकर लगता है कि उनकी शिकायत उत्तराखंड के मुख्य सचिव के पास भेजी जानी चाहिए। साथ ही यह निर्देश दिया जाता है कि मुख्यमंत्री को इस बारे में जानकारी दी जाए ताकि वे सीबीआई जांच करवाने को लेकर फैसला ले सकें।'
तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे
उत्तराखंड में जून, 2013 में आई बाढ़ में तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे और कई लापता हो गए थे। कई लोगों के बारे में तो आज तक पता नहीं चल पाया है।

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