आपका-अख्तर खान

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16 अप्रैल 2015

मुझे दे दो |

बस छोटी सी एक
इल्तजा है मेरी तुमसे ......
बस कुछ देर पंछी बनकर
उड़ जाने कि मोहलत
मुझे दे दो |
कभी चाँद में मैं छुप जाऊ |
कभी बादल में समा जाऊ |
बस छोटी सी ये ख्वाइश
पूरी तुम मेरी कर दो |
जो मैं रच दूँ कोई सरगम
तो बेहिचक गीत रचने की
इज़ाजत तुम मुझे दे दो |
तपती रेत में जब भी
मेरे पाँव जल जाएँ
तो मरहम लगा लेने का
होंसला तुम मुझे दे दो |
मैं सागर हूँ सीमाओं को
अपनी खूब पहचानती हूँ |
तुम बस करके भरोसा
कुछ पल पंख पसारने की
इज़ाज़त मुझे दे दो

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