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21 अप्रैल 2015

राजस्थान में वकीलों के कार्यस्थगन

  • राजस्थान में वकीलों के कार्यस्थगन पर राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा एक सख्त निर्देशात्मक परिपत्र के बाद वकीलों और न्यायिक अधिकारीयों में कड़वाहट का माहोल होने और राजस्थान बार कौंसिल की चुप्पी से वकीलों में आक्रोश है ,,,सभी जानते है के शोकसभा या दीगर वजुहातों से मृतात्मा को श्रद्धांजलि देवे के लिए वकीलों को काम बंद रखना पढ़ता है ,,अभी हाल ही में दस अप्रेल को राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व में जारी परिपत्र को फिर री प्रोड्यूज़ किया है जिसमे सभी जिला जजों को वकीलों के कार्यस्थगन को ख़ारिज करने उन्हें सहयोग नहीं करने के सख्त आदेश दिए है ,,,,राजस्थान के वकील इस बचकाना हरकत से उद्धेलित है लेकिन अफ़सोस इस बात का है के हुक्कामों के साथ चाय कोफ़ी पीने वाले राजस्थान बार कोंसिल से जुड़े लोगों को इस का रत्ती भर भी फ़र्क़ नहीं पढ़ा है उन्होंने वकीलों के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने वाले इस गैरज़रूरी परिपत्र के खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठाई है ,,कोटा में शनिवार को संभाग के पर्तीिनिधियों की इस मामले में चर्चा के लिए बैठक आयोजित की गई है ,,,,क़ानून कहता है वकील और जज दोनों कोर्ट ऑफिसर होते है जब जज छुट्टी पर होते है तो पत्रावली में कार्यवाही स्थगित होती है लेकिन जब दुसरा कोर्ट ऑफिसर जो वकील है अगर किसी गमी की वजह से अवकाश पर है तो पत्रावलियों में सुनवाई कैसे हो सकती है ,,,,हाईकोर्ट के जज हो या फिर ऐ डी जे हो ,,या फिर न्यायिक अधिकारी हो सभी वकालत के व्यवसाय से निकल कर इस नौकरी में आते है ,,इसी हाईकोर्ट द्वारा अदालतों के विधिवत संचालन के लिए हज़ारों हज़ार सर्कुलर निकाल कर त्वरित सुनवाई ,,सेशन ट्रायल दिन ब दिन नियमित सुनवाई ,,मुक़दमों का टाइम बाउंड निस्तारण ,,सी आर पी सी और सी पी सी के विधिक प्रावधानों के तहत अदालतों में गवाही के बयान रिकॉर्ड करने ,,मुक़दमों की सुनवाई के दौरान सिर्फ एक ही कार्यवाही करने के निर्देश जारी कर रखे है ताकि फैसलों में गुणवत्ता आये और निर्दोष को छोड़ा जाए तो अपराधी को सज़ा दी जाए के मांमले में व्यवस्था बने ,,,हाईकोर्ट ने सभी जजों को यह भी निर्देश दे रखे है के पक्षकारों को उनकी पसंद का वकील गरीब होने पर उपलब्ध कराये ,,लीगल ऑथोरिटी के बजट का सही इस्तेमाल हो ,,क़ानून है के चेक के मामले तीन माह में ,,निस्तारित हो ऐसे कई क़ानून है जिसमे त्वरित सुनवाई और समयबद्ध फैसले का हुक्म है लेकिन अफ़सोस अदालतों में सभी जानते है एक तरफ सुनवाई ,,एकतरफ गवाही तो दूसरी तरफ रीडर से तारीखों का झमेला चलता है ,,जो अदालते दूसरे जजों का एवज़ी काम कर रही है वोह इतनी ओवरबर्डन है के उन्हें दो दो जगह गवाही लेना पढ़ती है फिर अदालत अपनी भाषा में गवाह का रूपांतरन कर लिखवाएगी इस सर्कुलर का किया हुआ ,,,,,राजस्थान की न्यायिक व्यवस्था संवेदनशील और ईमानदारी का प्रतीक रही है यहां के फैसलों की गुणवत्ता दूसरे राज्यों पर आज भी भारी है ,,यहां न्यायिक वातावरण है ,,ऐसे में राजस्थान बार कोंसिल और राजस्थान हाईकोर्ट जिसमे कई जज राजस्थान बार कोंसिल के प्रतीनिधी रह चुके है ,,वकील रह चुके है वोह बैठ कर इस मुद्दे को सुलझाये ,,राजस्थान बार कोंसिल वकीलों के मान सम्मान के खिलाफ इस तरह की टिप्पिणि परिपत्र पर अगर हाथ पर हाथ रख कर बैठती है तो फिर ज़िलों की बार एसोसिएशन को अपने क्षेत्र के बारकोंसिल परिनिधियों का घेराव कर इस मामले में जवाब तलब करना चाहिए ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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