आपका-अख्तर खान

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15 अप्रैल 2015

ये कसक

ये कसक दिल की दिल में चुभी रह गयी,
जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गयी..
एक मैं एक तुम एक दीवार थी,
जिंदगी आधी आधी बटी रह गयी..
मैंने रोका नही वो चला भी गया,
बेबसी दूर तक देखती रह गयी..
रात की भीगी भीगी छतो की तरह,
मेरी पलको पे थोड़ी नमी रह गयी...

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