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28 अप्रैल 2015

दुःख तकलीफ में इलाज के अभाव में तड़पते ,,सिसकते मरीज़ों की खिदमत का दीवानगी की हद तक का जज़्बा ,,

दुःख तकलीफ में इलाज के अभाव में तड़पते ,,सिसकते मरीज़ों की खिदमत का दीवानगी की हद तक का जज़्बा ,,आपने सब कुछ छोड़कर भूके प्यासे रहकर ,,मरीज़ों के साथ हमदर्दी करने वाले खिदमतगार का नाम इमरान कुरैशी है ,,जी हाँ दोस्तों वैसे तो सभी जानते है के इस्लाम में किसी भी मरीज़ की तीमारदारी ,,उसकी मदद ,,उसकी हमदर्दी एक इबादत है ,,और इसी इबादत को रोज़ इमरान कुरैशी सुबह सवेरे से उठकर रात रात जागकर अनजान चेहरे ,,अनजान मरीज़ों के साथ रहकर उनके इलाज के लिए दोढ़ भाग करते नज़र आते है ,,इमरान कुरैशी यूँ तो मेले दशहरे में झूले वगेरा लगाकर लोगों का मनोरंजन कर अपना व्यवसाय करते है लेकिन दस सालों से भी अधिक समय से इमरान कुरैशी ने अपना कारोबार से ज़्यादा अहमियत मरीज़ों की खिदमत को देना शुरू की है ,,इमरान कुरैशी आज तक हज़ारो हज़ार मरीज़ों की खिदमत सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कर चुके है ,,मरीज़ किसी भी जाती ,,किसी भी धर्म ,,किसी भी मज़हब का हो बस इनकी जानकारी में आते ही ,,मरीज़ के लिए दवा की व्यवस्था ,,मरीज़ की जाँचे ,,उनकी बीमारी के बारे में विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह ,,,ज़रूरत पढ़ने पर खून दिलवाना ,,,रात रात भर जागकर मरीज़ों की खिदमत करना इमरान कुरैशी ने अपन धर्म बना लिया है ,,अब तक हज़ारो मरीज़ के परीजन इन्हे दुआएं देते है जो इलाज के आभाव में तड़प रहे थे लेकिन असाध्य बीमारी के बाद भी ठीक हो कर घर आराम कर रहे है ,,कोटा का कोई भी प्राइवेट चिकित्सालय हो ,,सरकारी चिकित्सालय हो डॉक्टर हो ,,,मरीज़ों की जांच करने वाली लेबोरेटरी संचालक हो सभी लोग इमरान को मरीज़ों के मसीहा के रूप में जानते है ,,,,बिना किसी लोभ लालच के फी सबीह लिल्लाह यानी मुफ्त में अपना वक़्त ,,अपना रुपया खर्च कर खिदमत के इस अंदाज़ को लोग दीवानगी कहते है लेकिन कोटा की जनता और ज़रूरत मंद इस जज़्बे को कोटा के एक मसीहा के रूप में देखते है ,,,,,,,,,हाल ही में जिला प्रशासन को जब इमरान कुरैशी के इस जज़्बे ,,इस खिदमत की जानकारी मिली तो जिला प्रशासन ने सभी जानकारियां तस्दीक़ करने के बाद कोटा जिला स्टेडियम पर एक समारोह में ज़िलाकलेक्टर के ज़रिये इनको सम्मानित करवाकर इनकी होसला अफ़ज़ाई की ,,,,,,,,,इमरान कुरैशी कई बार लावारिस मरीज़ों के वारिस बनते है तो अपने हाथों से उनकी गंदगी भी साफ़ करते नज़र आते है ,उनकी दवाये ,,फ्रूट ,,खाने पीने का इंतिज़ाब भी वोह अपने पास से अपने साथियों की मदद से करते है ,,इमरान कुरैशी अपने इस काम को खुदा का आदेश समझकर पूरा करते है वोह कहते है यह मेरा फ़र्ज़ है ,,उनको इस मामले में किसी वाह वाही की भी ज़रूरत नहीं ,,वोह किसी पब्लीसिटी के भी मोहताज नहीं ,,लेकिन एक दस्तूर है जो लोग बिना किसी लालच के लोगों की खिदमत करते है वोह कमाल करते है और इस मतलबी दुनिया में इस कलियुग में तो बस ऐसे लोग गिनती के होते है इसीलिए ऐसे लोगों को जज़्बे को सलाम करते हुए इनकी पीठ थपथपा कर इन्हे शाबाशी देने का फ़र्ज़ तो हमारा बनता ही है ,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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