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25 अप्रैल 2015

चिंतन मंथन करने की है ,,हमारे देश में धर्म है और हर धर्म में निराशा ,,हताशा की कोई जगह नहीं ,,आत्महत्या करना अपराध है

दोस्तों ,गुस्ताखी माफ़ ,,,,, बात कड़वी लेकिन सच्ची है ,,चिंतन मंथन करने की है ,,हमारे देश में धर्म है और हर धर्म में निराशा ,,हताशा की कोई जगह नहीं ,,आत्महत्या करना अपराध है फिर भी यहां आत्महत्याएं हो रही है ,,क़ानून की बात दूसरी है क़ानून ने तो आत्महत्या में असफल होने पर अपराध धारा तीन सो नो आई पी सी को रद्द कर दिया है ,,,भारत में हर रोज़ सैकड़ों लोग आत्महत्या करते है ,,यहां सरकारी स्तर पर रचनात्मक और खुशगवार माहौल की जगह निराशाजनक माहोल बनाया गया है ,,नतीजन ,,बच्चे ,,औरतें ,,महिलाये अनावश्यक आत्महत्याएं कर रहे है ,,बीमा और सहायता का क़ानून है के अगर आत्महत्या की तो मुआवज़ा और सहायता राशि नहीं मिलेगी ,,लेकिन देश में गजेन्द्र की आत्महत्या सबसे ज़्यादा चर्चित और क़ीमती हो गई है ,,ऐसा लगता है के आत्महत्या को महिमामंडन किया जा रहा है दूसरे नौजवान या पारिवारिक सदस्य जो अपने परिवार को सुख देने में असफल है उन्हें उकसाया जा रहा है के तुम जीते जी जो अपने परिवार के लिए नहीं कर सकते वोह तुम्हारी आत्महत्या के बाद सरकार ,,सियासी लोग तुम्हारे परिवार के लिए कर देंगे ,,,,यह क़दम गलत सरासर गलत है ,,मदद करना अलग बात है लेकिन आत्महत्या का महिमामंडन देश के नोजवानो और निराशा दे दौर में रह रहे हताश लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है ,,हमारे देश में कई आत्महत्याएं हादसे के रूप में हुई है ,,देश में आरक्षण आंदोलन के दौरान गोस्वामी ने तेल छिड़का लेकिन हादसे में वोह पूरा जलकर ख़ाक हो गया ,,,हरियाणा ,,पंजाब की अध्यापिकाएं टंकी पर चढ़ कर रुपट्टा जलाकर सरकार को चेताने का प्रयास कर रही थी के अचानक आग लग जाने से जल कर राख हो गयी ,,,कभी भी कोई भी टंकी पर चढ़ जाता है ,,एक शख्स ट्रेन पर चढ़ा और हाई वोल्टेज लाइन को छू गया ,,,हमारी सरकारें ,,हमारी सियासी पार्टियों को सभी आत्महत्या करने वालों की लिस्ट तय्यार कर उनके घरों पर भी आर्थिक मदद पहुंचाना चाहिए ,,,सरकार ,,,,जन्पर्तीिनिधि ,,सियासी पार्टियों और समाजसेवकों को मिडिया के साथ मिलकर देश में निराशा हताशा का माहोल खत्म कर हौसले का मनोविज्ञान तैयार करना होगा ,,,,देश भर में राजयवार ,,जिलेवार ,,विधानसभा क्षेत्रों में ,,वार्डों में भाग संख्या क्षेत्रों में फिर से निराशा हताशा सहित कई मामलों का सर्वेक्षण कराकर देश के नोजवाओ ,,हताशा और निराशा में जी रहे लोगों को एक विशेष पैकेज के ज़रिये निराशा से उबारना होगा जबकि प्रेमी प्रेमिकाओं ,,,छात्र छात्राओं को विशेष कॉन्सिलिंग देकर होसला दिलाना होगा ,,,,उन्हें निराशा से निकालना होगा ,,,जो लोग विशेष पैकेज के बाद भी नहीं मानते है उनका इलाज मनोवैज्ञानिक चिकित्सालयों में भर्ती कराकर करवाना होगा ,,,,सरकार ज़िम्मेदारी दे अपने अपने क्षेत्रों में पंच ,,सरपंच ,,पार्षद ,,निकाय पर्तीिनिधियों ,,समाज सेवी संस्थाओ ,,जन्पर्तीिनिधियों ,,,सियासी पार्टियों ,,,विधायकों ,,सांसदों को के यह लोग अपने अपने इलाक़े में जाए जनता से संवाद करे उनके सुख दुःख जाने उन्हें दूर करे जनता में होसला पैदा करे हताशा निराशा का माहोल खत्म करे ,,वरना गजेन्द्र की आत्महत्या के महीमामण्डन से नौजवान पीढ़ी और हताशा में जी रहे लोग अपने परिवार को एक मुश्त सहायता राशि दिलवाने के चक्कर में क़ुरबानी के नाम पर आत्महत्या का रास्ता इख़्तियार करने लगेंगे जो देश के लिए ,,समाज के लिए घातक होगा जबकि सभी धर्मों में आत्महत्या पाप सरासर पाप है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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