आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

22 अप्रैल 2015

तालिबान ने तैयार की उमर-1 मिसाइल, पाक के एटम बम की सुरक्षा पर सवाल

टीटीपी द्वारा जारी की गई उमर-1 मिसाइल की फोटो।
टीटीपी द्वारा जारी की गई उमर-1 मिसाइल की फोटो।
इस्लामाबाद. पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने मिसाइल के कामयाब परीक्षण का दावा किया है। तालिबान ने मिसाइल को उमर-1 नाम दिया है। हालांकि, मिसाइल की रेंज के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा सूबा पाकिस्तान तालिबान का गढ़ माना जाता है। इस सूबे से भारत की सीमा करीब 600 किलोमीटर दूर है। पाकिस्तान की फौज से लड़ रहे पाकिस्तानी तालिबान ने एक बयान जारी कर उमर-1 मिसाइल के सफल परीक्षण का दावा किया। इसके साथ ही एक वीडियो भी जारी किया गया है। वीडियो में मिसाइल को असेंबल करते हुए दिखाया गया है। टीटीपी के प्रवक्ता मुहम्मद खुरासनी ने मिसाइल के बारे में कहा, "जरूरत के हिसाब से मिसाइल को कभी भी असेंबल और डी-असेंबल किया जा सकता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी डिजाइन है।"
'बहुत जल्द दुश्मन को भागते देखोगे'
टीटीपी के प्रवक्ता खुरासनी ने कहा, "उमर-1 मिसाइल दुश्मन को भौचक्का कर देगी। अल्लाह की मर्जी रही तो बहुत जल्द हमारे दुश्मन को भागते हुए देखोगे। हमारी इंजीनियरिंग यूनिट के पास मॉडर्न हथियार तैयार करने की कूव्वत है। हम अपने लड़ाकों को तकनीक का पूरा इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। इसमें सुसाइड वेस्ट, सुसाइड गाड़ियां, हैंड ग्रेनेड, एंटी जैमर डिवाइसेस शामिल हैं।" पिछले साल जून से पाकिस्तानी फौज अफगानिस्तान से सटे इलाकों में सक्रिय आतंकवादियों के सफाए के लिए ऑपरेशन 'जर्ब-ए-अज्ब' चला रही है। इसमें सैकड़ों आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया है।
एटम बम की सुरक्षा पर फिर सवाल खड़े हुए
टीटीपी की मिसाइल टेस्टिंग की खबर आने के बाद पाकिस्तान के एटमी हथियारों की सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर उठ गया है।
‘भारत सक्षम, लेकिन खतरा बड़ा’
रक्षा विशेषज्ञ कमर आगा ने dainikbhaskar.com को बताया कि ये कहना गलत नहीं होगा कि तालिबान का मिसाइल टेस्ट का दावा एक बड़ा खतरा है। इससे निपटने के लिए हमारी सुरक्षा एजेंसियां सक्षम हैं। लेकिन तालिबान के असर वाले इलाकों से दिल्ली की दूरी महज 600 किलोमीटर की है। हमें पहले से ज्यादा चौकस रहना होगा। इस मामले में दूसरे देशों को भी सतर्क करना होगा। रहा सवाल पाकिस्तान का तो हम उस पर कतई भरोसा नहीं कर सकते। वह अपने देश में आतंकवाद पर रोता है, लेकिन हमारे देश में आतंक को बढ़ावा देता है। पाकिस्तान खुद भी तालिबान के खतरे से निपटने के लिए असमर्थ है। ऐसे में, भारत के पास विकल्प यही है कि इस मुद्दे पर वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साथ लेकर चले और पाकिस्तान पर दबाव बनाए।

किस इलाके में बनी मिसाइल?
बताया जा रहा है कि यह मिसाइल खैबर पख्तूनख्वाह इलाके में बनी और वहीं इसका टेस्ट भी हुआ। इस इलाके का बड़ा हिस्सा तालिबान के कब्जे में है और सेना यहीं आतंकियों से लड़ रही है। अफगानिस्तान की सीमा से सटे तालिबान के कब्जे वाले पहाड़ी इलाके में अमेरिका भी अपने ड्रोन से नजर रखता है। इसके बावजूद मिसाइल टेस्ट होने का दावा किया जा रहा है।

तालिबान को किसने दी तकनीक?
अमेरिकी लेखक कीनिथ आर टिमरमैन की किताब ‘डार्क फोर्सेस : द ट्रूथ अबाउट व्हॉट हैपन्ड इन बेनगाजी’ और अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्टों की मानें तो अफगानिस्तान को दिए गए कई हथियार लापता हैं। 2007 के बाद से अमेरिका ने अफगानिस्तान को 62 करोड़ डॉलर मूल्य के 7.5 लाख हथियार और उससे जुड़े पुर्जे मुहैया कराए हैं। लेकिन स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान ने अमेरिका को नवंबर 2014 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि 43 फीसद यानी दो लाख हथियार लापता हैं। आशंका है कि तालिबान इन्हीं हथियारों के दम पर आतंक फैला रहा है। उसने अमेरिकी तकनीक का ही इस्तेमाल कर मिसाइल बनाने की कोशिश की है।

खतरा किसे ज्यादा?
तालिबान की मिसाइल से भारत को तो खतरा होगा ही, लेकिन पाकिस्तान के अंदर हालात ज्यादा बिगड़ेंगे। पाकिस्तान ने पिछले साल खैबर इलाके में तालिबान के खिलाफ जर्ब-ए-अज्ब अभियान शुरू किया था। तब से अब तक 2000 आतंकी इस फौजी अभियान में मारे जा चुके हैं। 15 लाख लोगों को आतंकियों और सेना के बीच मुठभेड़ के कारण अपने इलाकों से पलायन करना पड़ा है। इसी अभियान से बौखलाए तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्तान में बीते दिसंबर पेशावर में आर्मी स्कूल पर हमला किया था। इसमें 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। इसके बाद आतंकी संगठन का मिसाइल टेस्ट दूसरा बड़ा घटनाक्रम है। पाकिस्तान के अंदर अब हमले और बढ़ सकते हैं।

इस मिसाइल टेस्ट का पाकिस्तान अमेरिका से कितना फायदा उठाएगा?
पाकिस्तान के लिए जर्ब-ए-अज्ब अभियान काफी महंगा साबित हो रहा है। तालिबान के खतरे के कारण पाकिस्तान को सिर्फ पेशावर में स्कूलों की हिफाजत के लिए 11 हजार सैनिकों की टुकड़ी तैयार करनी पड़ी है। पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार ने हाल ही में दावा किया था कि तालिबान के खिलाफ अभियान की लागत 1.75 अरब डॉलर आएगी। 80 करोड़ डॉलर तो सिर्फ विस्थापितों के पुनर्वास पर खर्च हो जाएंगे। पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद को 15 फीसद बढ़ाने की गुजारिश की है। अमेरिका पिछले 12 साल में पाकिस्तान को पहले ही 28 अरब डॉलर की मदद दे चुका है। इस साल भी 1 अरब डॉलर की मदद प्रस्तावित है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...