आपका-अख्तर खान

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16 मार्च 2015

आज हूँ

आज हूँ
कल रहूँ ना रहूँ
इसीलिए
तुम से तुम्हे
ज़िंदगी समझ कर
शिद्दत से
प्यार करता हूँ
ज़िंदा हूँ
इसीलिए
तुम पर मरता हूँ
मर गया तो
तुम कोनसे
ज़िंदा रह पाओगे
नहीं है यक़ीन तो
उठाओ हाथ
अपने सीने पर रखो
अपनी धड़कनो से पुंछ लो
दिमाग का क्या
वोह तो तुम से
जूंठ सरासर झूंठ बोलता है ,,,,,,अख्तर खान अकेला

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