आपका-अख्तर खान

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16 मार्च 2015

उठो वर्क पलटो

उठो वर्क पलटो
अपने झूंठे प्यार की किताबों के
देखो
हर वर्क पर
तुम्हारी बेवफाई
मेरे आंसू
तुम्हारी खिलखिलाहट
मेरी सिसकियाँ
मेरा अटूट प्यार
तुम्हारा धोखा
मेरा सच
तुम्हारा झूंठ
लिखा है ,,लिखा है
यह प्यार की नौटंकी
तुम्हारा तो खेल हुआ
लेकिन मेरे लिए तो
देखो
तुम्हारा यह खेल मोत बन गया
शायद
तुम्हारा यही दस्तूर है
शायद तुम्हारे लिए
प्यार एक नाटक
प्यार एक खेल है
फिर भी
मेरा प्यार अटूट है
इसीलिए तो
आज भी में सिर्फ और सिर्फ
तुम्हारी बाहों में ही मर जाना चाहता हूँ ,,,,,,,,,,,,,,

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