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14 मार्च 2015

9 घंटे के ऑपरेशन के बाद पहली बार पेनिस ट्रांसप्लांट करने में सफल हुए डॉक्‍टर्स




केपटाउन। दक्षिण अफ्रीका में दुनिया की पहली सफल पेनिस ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई। राजधानी केपटाउन में 'टाइगरबर्ग अस्पताल' में स्टेलनबोश यूनिवर्सिटी के सर्जन्स की टीम ने ऑपरेशन के पूरी तरह से सफल होने के बाद शुक्रवार को इसकी घोषणा की। 21 साल के मरीज का पेनिस तीन साल पहले खतना करते हुए कट गया था। बीते साल 11 दिसंबर को ऑपरेशन किया गया था। इसमें नौ घंटे का समय लगा। इसके बाद बीते तीन महीने से यह गहन जांच रखा गया था। डॉक्टर्स के मुताबिक, अब पूरी तरह से रिकवरी हो चुकी है। पेनिस के सभी फंक्शन ठीक हैं। डॉक्टर्स ने एक बीमार डोनर से पेनिस लिया गया था। अब उसकी मौत हो चुकी है।
कुछ इस तरह किया गया पेनिस ट्रांसप्लांट।
कुछ इस तरह किया गया पेनिस ट्रांसप्लांट।
बीमार व्यक्ति का लिया पेनिस
डॉक्टर्स ने बताया कि सबसे पहले इसके लिए एक डोनर चाहिए था। हमें बीमार व्यक्ति का पेनिस मिल गया। उसकी मौत के बाद उसके पेट से खाल निकालकर एक पेनिस जैसा खोल बनाकर लगाया और उसे सम्मानजनक तौर पर दफनाया गया।
2010 से शुरू हो गई थी प्लानिंग
ट्रांसप्लांट के अलग-अगल चरण की एक पायलट स्टडी की। साल 2010 में ही यह प्लानिंग शुरू हो गई थी। एक व्यापक रिसर्च के बाद प्रोफेसर वान डर मर्व और उनकी सर्जिकल टीम ने पहली फेशियल ट्रांसप्लांट तकनीक का इस्तेमाल करने का फैसला किया। इस तरह की प्रॉसेस में दूसरी बार यह ऑपरेशन किया जा रहा था। भाग्य ने साथ दिया। इतिहास में पहली बार इसके दूरगामी परिणाम सफल रहे।
जान जाने का था खतरा
इससे पहले ऐसी कोशिश चीन में की गई थी, लेकिन बाद में पेनिस ने काम करना बंद कर दिया था। डॉक्टर्स ने बताया कि मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और शारीरिक संबंध भी बना सकता है। इस सर्जरी के पहले काफी बहस की गई थी, क्योंकि इस ऑपरेशन में हार्ट सर्जरी की तरह ही जान जाने का जोखिम था।
किसी को भी दे सकते हैं अंग
स्टेलनबोश यूनिवर्सिटी स्थित प्लास्टिक रिकन्स्ट्रक्टिव सर्जरी के हेड प्रोफेसर फ्रेंक ग्रावे ने बताया कि हमने साबित कर दिया है कि हम कुछ भी कर सकते हैं। हम किसी को भी वापस अंग दे सकते हैं। दुनिया की पहली ट्रांसप्लांट सर्जरी को सफल करने का मौका हमें मिला है।
पहले भी हो चुकी है कोशिश
2006 में चीनी व्यक्ति का पेनिस ट्रांसप्लांट किया गया था। लेकिन दो हफ्ते बाद ही डॉक्टर्स ने पीड़ित और उसकी पत्नी के मानसिक रूप से परेशान होने पर इसे हटा लिया।
ऑपरेशन के साथ और बाद में आई परेशानियां
डॉक्टर्स ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान स्थितियां अनूकूल नहीं थीं। कई गलत चीजें भी हुईं। हमें इंफेक्शन, क्लॉट फॉर्मेशन और खून बहने की समस्या से जूझना पड़ा। ब्लड वेसल्स में क्लॉटिंग हो गई थी। हालांकि बाद में हमने इसे ठीक कर लिया। ऑपरेशन के बाद भी लगातार खून बहता रहा। यह बहुत कठिन समय था।
खतना की परपंरा
अफ्रीका में खतने की परंपरा है। दक्षिण अफ्रीका में खोसा आदिवासी समुदाय में लड़के को मर्द बनाने के लिए उसका किशोरावस्था में ही खतना कर दिया जाता है। इस पीड़ित व्यक्ति का भी 18 साल की उम्र में खतना कर दिया गया था। लेकिन गलती से पेनिस कट गया। पीड़ित का पेनिस असली साइज से सिर्फ एक सेंटीमीटर का रह गया था। डॉक्टर्स ने बताया कि हर साल करीब दर्जनों लड़के (कुछ लोग हजारों का दावा करते हैं) पारंपरिक खतने के बाद या तो अपंग हो जाते हैं। कई मर भी जाते हैं।

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