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06 फ़रवरी 2015

बिहार: मांझी की सिफारिश पर राज्यपाल ने बर्खास्त किए नीतीश समर्थक दो मंत्री


पटना. बिहार में सत्ता संग्राम नए मोड़ पर है। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व सीएम नीतीश कुमार के खेमे में आर-पार की लड़ाई शुरू हो गई है। मांझी ने शुक्रवार देर रात पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह व योजना मंत्री पीके शाही को बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी। दोनों विधान पार्षद हैं। फैक्स पटना व कोलकाता राजभवन को मिल गया।
ललन सिंह(बाएं) और पी के शाह - फाइल फोटो
ललन सिंह(बाएं) और पी के शाह - फाइल फोटो
नीतीश खेमे ने जवाबी कार्रवाई के लिए फिर से अध्यक्ष शरद यादव का सहारा लिया। राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी को पत्र लिखवाया कि मांझी के पास बहुमत नहीं है। कोई सिफारिश न मानी जाए। हालांकि यह विधानमंडल दल की बैठक के बाद भेजा जाना है। जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा- पत्र भेजे जाने से पहले ही लीक हो गया। शनिवार को शरद द्वारा बुलाई गई बैठक में नीतीश को नेता चुनकर राजभवन से मांझी को बर्खास्त करने का अनुरोध किया जाएगा।
मांझी को एक दर्जन मंत्रियों का मिला साथ
सुबह मंत्री नीतीश मिश्र, वृशिण पटेल, नरेंद्र सिंह, महाचंद्र प्रसाद सिंह, विनय बिहारी, सम्राट चौधरी, बागी विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, पूनम देवी और रविंद्र राय पहुंचे। देर रात मंत्री शाहीद अली खान, भीम सिंह, नौशाद आलम और राजद विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह ने मुलाकात की। तीन अन्य मंत्रियों का भी साथ मिलने की चर्चा है।
मांझी के पक्ष में सुशील मोदी और नीतीश के समर्थन में लालू
मुंगेर में सुशील मोदी ने कहा- सारे विकल्प खुले हुए हैं। देश, काल व परिस्थिति के अनुसार भाजपा निर्णय लेगी। नीतीश महादलितों का अपमान कर रहे हैं।
लालू बोले- राजद जदयू के निर्णय के साथ रहेगा। जहां भी जरूरत होगी मैं जदयू के साथ खड़ा रहूंगा। शरद ने बैठक बुलाई है। उसमें देश को ध्यान में रखकर निर्णय होगा।
आज की बैठक का एजेंडा नहीं, लेकिन फैसला बड़ा होगा
आज होने वाली विधानमंडल दल की बैठक बिना एजेंडे के हो रही है। इसमें मांझी के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पारित होगा। नीतीश को नया नेता चुना जाएगा। नीतीश समर्थक मंत्रियों के सामूहिक इस्तीफा देने के आसार हैं। ऐसा हुआ तो राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश होगा। इस पर राजभवन से सवाल उठना तय है। चूंकि बैठक बिना एजेंडा बुलाई है, इसलिए राज्यपाल इसे विधायकों को गफलत में रखने वाला निर्णय करार दे सकते हैं। राज्यपाल 20-21 फरवरी को बहुमत दिखाने को कह सकते हैं। अभी मांझी के पाले में तीन दर्जन विधायक दिख रहे हैं। ऐसे में जदयू में टूट संभव है।

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