- दोस्तों एक गंभीर मुद्रा में यह शख्सियत क़लम हाथ में लिए कुछ ज़्यादा नहीं सोचते है बस लिखते है ,,समाज बदलने के लिए ,,लिखते है लोगों के दिलों को छूने के लिए ,,,इसी खूबसूरत लिखने वाले कवि ,,लेखक का नाम गोविन्द हाँक्ला है ,,जो हाड़ोती में चम्बल तट पर पले बढ़े ,,यही खेले कूदे ,,यहीं लिखना सीखा ,,यही पढ़ना सीखा और हाड़ोती ,,राजस्थानी क्षेत्रीय भाषा की आवाज़ बुलंद करने वाले ऐसे किरदार बन गए जिसके बगैर राजस्थान के साहित्यकारों की पहचान अधूरी है ,,,,,,,,,,,,,,,,गोविन्द हांकला अपनी क़लम से जज़्बात लिखते है ,,,,,,इनकी कविताओ ,,आलेखों में ज़िंदगी होती है ,,प्राकृतिक सौंदर्य विवरण होता है ,,,खुशबु होती है ,,प्यार की महक होती है ,,खूबसूरती की झलक ,,प्यार की संवेदना ,,,,तो कभी प्यार में बिछड़ जाने का दर्द होता है ,,,वोह लिखते है ,,,,,शब्द मेरे जब भी तुम्हे डसने लगे,—
अक्स घेरे जब भी नयन बसने लगे,
बिन बोले लब की कसक उठके कहे,
अश्क मेरे मन की हसरत कहने लगे,
साँझ को बाँहभर मिल लेना।
लाज को आहभर मिल लेना ।। अपने प्यार अपनी यादों को मौसम के साथ हाँक्ला साहब कुछ इस तरह से याद करते है ,,,,,,,,,,,,
किसी के नर्म अहसासो को छूने का मौसम है ,
नयी है नज़र नव रासो को लिखने का मौसम है,
चुनी है सिर्फ मदहोशी में पीने की पागल ने,
अजी ये गर्म मद साँसों के सुलगने का मौसम है,,,,हाँक्ला के अल्फ़ाज़ों में धरती से जुड़ाव है ,,प्रकृति के साथ अपनेपन का अहसास है ,,,रचनात्मक लेखन ,,,,सीख देने वाली लेखनी के कारन ही हाँक्ला साहब साहित्य जगत में मश्हुरियत के साथ सबके लाडले सबके प्यारे दुलारे है ,,,,,
इनके बारे में कुछ इस तरह से है
नाम गोविन्द हाँकला
पिता। स्व0 श्री रामदयाल हाँकला
जाति गुर्जर धाभाई परिवार पीपल्दा
पिता शिक्षक और आज़ादी की जंग के सिपाही रहे पर कभी भुनाया नहीं।
मान श्रीमती दांखा देवी ग्राम पंचायत तलाव में सक्रिय सदस्य और राजनीति में रही
वर्तमान में कोटा नगर अंग्रेजी अध्यापन निजी कोचिंग और संस्थाओ के साथ
एक पुस्तक "धरती का दो पग"
राजस्थानी पद्य प्रकाशित
बिभिन्न चैनल और दूरदर्शन रेडियो पात्र पत्रिकाओं से जुड़ाव प्रस्तुतियाँ वाह वाह और वाह क्या बात जैसे कार्यक्रमो में भागीदारी
हिंदी कविता संग्रह और कहाणी संग्रै कुल दस पुस्तक सामग्री अब प्रकाशन के लिए तैयार
हास्य व्यंग प्रमुख विधा
हिंदी राजस्थानी
वर्तमान पता
गोविन्द हाँकला
4/46 "घर"
सरस्वती कालोनी
बारां रोड कोटा
9829215121
सादर ,,,,,,,हाँक्ला साहब को उनके साहित्य जगत में बहुमुखी प्रतिभा की शख्सियत के रूप में जाना जाता है उन्हें सलाम ,,अख़्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 फ़रवरी 2015
दोस्तों एक गंभीर मुद्रा में यह शख्सियत क़लम हाथ में लिए
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