नई दिल्ली. आखिरकार
अटकलें सही साबित हुई। पांच दिन पहले भाजपा में आईं किरण बेदी को पार्टी
ने दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। लोकसभा चुनाव
के बाद पहली बार किसी राज्य में भाजपा ने मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार
घोषित किया है। इससे पहले महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर और झारखंड में नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रखकर ही पार्टी ने चुनाव लड़ा था।
भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा, “सर्वसम्मति से फैसला लिया है। किरण जी भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद की प्रत्याशी होंगी। वह पार्टी की परंपरागत कृष्णानगर सीट से चुनाव लड़ेंगी।’ पार्टी में मतभेदों से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, “कोई मतभेद नहीं हैं। जिन लोगों के बयान मीडिया पर चलाए गए हैं, उन्हें तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। मैंने सबसे बात कर ली है। कोई नाराज नहीं है।’ पार्टी ने इसके साथ ही दिल्ली की 62 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं।
पहले दिन से मिल रहे थे संकेत
15 जनवरी : पार्टी में लाने के तरीके से ही साफ था कि बड़ी
जिम्मेदारी मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात। भाजपा अध्यक्ष
अमित शाह और वित्तमंत्री अरुण जेटली की मौजूदगी में बेदी को पार्टी में
शामिल किया गया। इस दौरान बेदी ने कहा, “40 साल का प्रशासनिक अनुभव है। काम
करना भी आता है और करवाना भी।’ फिर विजय गोयल बोले, “हम किरण बेदी के
नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे। दो-तिहाई बहुमत से जीतेंगे।’
16 जनवरी : भाजपा दफ्तर में जोरदार स्वागत के बाद बेदी बोली कि
मुख्यमंत्री बनी तो सुबह नौ बजे घर से निकलूंगी। सारे विभागों के सचिव भी
निकलेंगे। जनता की समस्याएं दूर करेंगे।
17 जनवरी : दिल्ली नगर निगम के महापौर और अधिकारियों के साथ
बैठक की। साफ किया कि सत्ता में आने पर हमारी प्राथमिकता एमसीडी होगी।
उन्होंने एमसीडी को स्वच्छ भारत अभियान को गंभीरता से लेने को कहा।
18 जनवरी : दिल्ली के सभी सांसदों को घर पर चाय के लिए बुलाया। देरी से पहुंचे केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन के लिए भी घर पर नहीं रुकी। अगले कार्यक्रम का समय होते ही घर से निकल गईं।
19 जनवरी : सभी बड़े न्यूज चैनल्स को पहला इंटरव्यू दिया।
दिल्ली के लिए विजन बताया। भाजपा में मतभेदों पर कहा, “बात को बढ़ा-चढ़ाकर
पेश किया गया है। मैं अब पार्टी की सदस्य हूं। वह बहुत खुश हैं।’
कोई चेहरा नहीं था इसलिए किरण
कोई चेहरा नहीं था इसलिए किरण
दिल्ली में भाजपा के पास मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा नहीं था। अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी इसी को मुद्दा बना रही थी। केजरीवाल ने तो खुद ही दिल्ली चुनावों
को केजरीवाल बनाम जगदीश मुखी मुकाबला बनाने की कोशिश की थी। भाजपा ने 2013
में हर्षवर्धन को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन जादू नहीं चल सका। ऐसे में नए
चेहरे की जरूरत थी, जो भरोसेमंद हो। केजरीवाल जितना ही जनता से जुड़ा हो।
ऐसे में अन्ना आंदोलन से जुड़ी रही किरण बेदी को चुना गया।
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