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27 जनवरी 2015

> प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ने तोड़ा प्रोटोकॉल , उपराष्ट्रपति नहीं,- सोशल मीडिया पर छिड़ा विवाद ...

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राजपथ पर गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रगान बजने के समय उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा राष्ट्र ध्वज को सलामी नहीं देने को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़े विवाद पर उपराष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी कर स्पष्ट किया हैकि प्रोटोकॉल के मुताबिक इसकी आवश्यकता नहीं है दूसरी तरफ इस विवाद को तूल देने वालों की सोशल मीडिया पर ही निंदा हो रही है और कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री व रक्षा मंत्री को स्वयं को शिक्षित करने की आवश्यकता है क्योंकि प्रोटोकॉल रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री ने तोड़ा है।
संयुक्त सचिव और उपराष्ट्रपति के ओएसडी गुरदीप सप्पल का बयान एक एजेंसी के मार्फत मीडिया में आया है, जिसमें कहा गया है, ‘‘गणतंत्र दिवस परेड के दौरान भारत के राष्ट्रपति सर्वोच्च कमांडर के नाते सलामी लेते हैं। प्रोटोकॉल के मुताबिक उपराष्ट्रपति को सावधान की मुद्रा में खड़ा होने की जरूरत होती है.’’
सप्पल ने कहा, ‘‘जब उपराष्ट्रपति प्रधान हस्ती होता है तो वह राष्ट्रगान के दौरान पगड़ी पहनकर सैल्यूट देते हैं जैसा कि इस वर्ष एनसीसी शिविर में हुआ।’’
उपराष्ट्रपति के ओएसडी व राज्यसभा टीवी के सीईओ व एडिटर इन चीफ सप्पल ने ट्वीटर पर वह वीडियो शेयर किया है जिसमें यह दिख रहा है कि उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान चल रहे सावधान की मुद्रा में खड़े हैं।
गणतंत्र दिवस समारोह के तुरंत बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के तिरंगे को सलामी देने और उपराष्ट्रपति अंसारी के ऐसा नहीं करने के फोटो ट्विटर और फेसबुक पर वायरल हो गए थे। संघ कबीले की साइबरवाहिनी ने अंसारी की देशभक्ति पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे । संघ कबीले की इस हरकत का सोशल मीडिया में खासा प्रतिवाद हुआ और लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज के प्रोकॉल संबंधी धारा का स्नैपशॉट शेयर कर संघी ट्रोल की निंदा की। लोगों ने संघ कबीले की इस हरकत पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि इसे ‘‘अनावश्यक एवं शर्मनाक’’ करार दिया।
निजी चैनल को एबीपी न्यूज पर भी विशेषज्ञ कर्नल यू.एस राठौर ने बताया था, ‘राजपथ पर हुए गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का सलामी के लिए हाथ नहीं उठाना बिलकुल सही था आज के दिन सेना से सलामी लेने का हक महामहिम राष्ट्रपति का होता है, वह ही इस सलामी का जवाब देते है। ऐसे में सलामी के लिए सिवाय राष्ट्रपति के वहां मौजूद किसी को भी हाथ नहीं उठाना चाहिए था।’
वरिष्ठ पत्रकार शेषनारायण सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री व रक्षामंत्री ने अनभिज्ञता, उत्तेजना अथवा अनुभवहीनता में प्रोटोकॉल तोड़ा है। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी 1980-85 के मध्य चीफ प्रोटोकॉल ऑफीसर रहे हैं, वे राष्ट्रध्वज के प्रोटोकॉल को अन्य से बेहतर समझते हैं।
उधर पूर्वउपराष्ट्रपति और भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत नेता भैरों सिंह शेखावत की तस्वीरें भी सोशल मीडिया में वायरल होने लगी हैं, जिसमें उपराष्ट्रपति के तौर पर शेखावत झंडे को सलामी नहीं दे रहे हैं।

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