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27 जनवरी 2015

यूएस मीडिया का दावा: दिल्ली में 3 दिन रहने से 6 घंटे कम हो गई ओबामा की जिंदगी


नई दिल्ली. अमेरिकी मीडिया ने दावा किया है कि दिल्ली में तीन दिनों तक रहने के कारण राष्ट्रपति बराक ओबामा के जिंदगी के छह घंटे कम हो गए। दिल्ली में वायु प्रदूषण का उल्लेख करते हुए अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट आई है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है और इसका असर ओबामा की सेहत पर पड़ सकता है।
सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एट होम कार्यक्रम में ओबामा।
सोमवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एट होम कार्यक्रम में ओबामा।
 
रिपोर्ट में दावा कि गया है विश्व में सबसे जयादा पीएम 2.5-थिनी दिल्ली की वायु में है, हवा में इस जहरीले कणों के चलते सांस संबंधी बीमारियां, लंग्स कैंसर और हर्ट अटैक होता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, 'ओबामा ने तीन दिनों के दौरे के दौरान दिल्ली का पीएम 2.5 लेवल औसतन 76-84 माइक्रोग्राम्स प्रति क्यूबिक मीटर के बीच था।' यह आंकड़ा भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने संग्रह किया है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के सांख्यिकीविद डेविड स्पीगलहैल्टर का कहना है कि इस प्रदूषण के हिसाब से एक दिन में ओबामा की जिंदगी के दो घंटे कम हुए। डेविड स्पीगलहैल्टर को प्रदूषण से पैदा होने वाले खतरों के आकलन में विशेषज्ञता हासिल है।
 
स्पीगलहैल्टर का कहना है कि इस प्रदूषण से उतनी ही हानि हुई है जितनी की एक दिन में आठ सिगरेट पीने से होती है। इसी प्रदूषण के बीच ओबामा दिल्ली में रिपब्लिक डे परेड देखने के लिए दो घंटे तक खुले बैठे थे। 
 
ओबामा के आने से पहले ही अमेरिकी अधिकारियों द्वारा दिल्ली के वायु प्रदूषण को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। खबरें थीं कि दिल्ली में अमेरिकी दूतावास की ओर से 1800 स्वीडिश एयर प्यूरीफायर्स खरीदे गए थे। संयोग की बात है कि अमेरिका दुनिया में कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है, जबकि भारत इस मामले में तीसरे स्थान पर है। 
 
India-US की दोस्ती से घबराया चीन, बोला-'बाहरी' देश का दखल मंजूर नहीं
 
भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते के अमली दौर में पहुंचने की संभावनाओं को लेकर चीन घबरा गया है। परमाणु करार ही नहीं दोनों देशों के बीच मजबूत होते संबंधों को लेकर भी उसकी बौखलाहट साफ दिखाई दे रही है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चीन ने कहा है कि प्रशांत और हिंद महासागर के साथ ही एशिया के विवादों में किसी बाहरी ताकत का दखल उसे मंजूर नहीं है और इन मामलों को आपस में बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए। चीन के विदेश मंत्रालय ने यह प्रतिक्रिया दी है। भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्तों को लेकर चीन कितना परेशान है इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उसने एनएसजी यानी न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप में भारत की एंट्री को लेकर भी सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत को एनएसजी में शामिल होने से पहले एनपीटी यानी परमाणु अप्रसार संधि पर दस्तखत करने होंगे। इस बीच, व्हाइट हाउस ने चीन की प्रतिक्रिया पर कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते चीन को रोकने या परेशान करने के लिए नहीं हैं। 
 
पाकिस्तान को बताया भरोसेमंद दोस्त
वहीं, चीनी पोलित ब्यूरो के सदस्य मेंग जियांझु ने पाकिस्तान को चीन का सबसे भरोसेमंद दोस्त बताते हुए कहा है कि पाकिस्तान की जो चिंताएं हैं वहीं चिंताएं चीन की भी हैं। मेंग ने ये भी कहा कि पाकिस्तान और चीन की दोस्ती दो व्यक्तियों के बीच का मामला न होकर दो देशों की दोस्ती का मामला है और पाकिस्तान ने हमेशा कठिन समय में चीन का साथ दिया है।

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