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24 जनवरी 2015

ग्रंथों से: क्यों द्रौपदी के थे पांच पति, क्या आप जानते हैं कारण


उज्जैन। महाभारत के अनुसार द्रौपदी राजा द्रुपद की बेटी और पांडवों की पत्नी थी। कौरवों द्वारा आयोजित किए गए जुए के खेल में द्रौपदी को दांव पर लगाया गया। पांडव दांव हार गए और उसके बाद दुशासन ने उसे भरी सभा में अपमानित किया। द्रौपदी के चरित्र के ये वो पहलू हैं, जिनके बारे में अधिकांश लोग जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि द्रौपदी का किरदार बहुत आदर्श है और उससे बहुत कुछ सीखा जाता है तो आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ बेहद रोचक कथाएं ...
ग्रंथों से: क्यों द्रौपदी के थे पांच पति, क्या आप जानते हैं कारण
 
 
गर्भ से नहीं हुआ था द्रौपदी का जन्म- महाभारत ग्रंथ के अनुसार एक बार राजा द्रुपद पांडवों से पराजित होने के कारण परेशान थे। जब से द्रोणाचार्य के कारण युद्ध में उनकी हार हुई, उन्हें एक पल भी चैन नहीं था। राजा द्रुपद चिंता के कारण कमजोर हो गए। वे द्रोणाचार्य को मारने वाले पुत्र की चाह में एक आश्रम से दूसरे आश्रम भटकने लगे। ऐसे ही भटकते हुए वे एक बार कल्माषी नाम के नगर में पहुंचे। उस नगर में ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले ब्राह्मण रहते थे। वहीं, उन्हें दो ब्राह्मण याज और उपयाज मिले। उन्होंने पहले छोटे भाई उपयाज से अपने लिए पुत्र प्राप्ति हवन करने के लिए प्रार्थना की। फिर उपयाज के कहने पर उन्होंने याज से प्रार्थना की। उसके बाद याज ने राजा द्रुपद के यहां पुत्र प्राप्ति के लिए हवन करवाया।

उस अग्निकुंड से एक दिव्य कुमार प्रकट हुआ। वह कुमार अग्निकुंड से निकलते ही गर्जना करने लगा। वह रथ पर बैठकर इधर-उधर घूमने लगा। उसी वेदी यानी हवनकुंड से कुमारी पांचाली का भी जन्म हुआ। पांचाली यानी राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी कमल की पंखुड़ी के जैसी आंखों वाली, नीले-नीले घुंघराले बालों व कोमल होंठो वाली थी। उसका रंग सांवला था। ऐसा लगता था मानों कोई देवांगना मनुष्य शरीर धारण करके सामने आ गई हो। इसके बाद ब्राह्मणों ने दिव्य कुमार व कुमारी का नामकरण किया। उन्होंने कहा यह कुमार असहिष्णु और बलवान व रूपवान होने के साथ ही कवच कुंडल धारण किए हुए है। इन पर अग्नि का प्रभाव दिखाई देता है। इसलिए इनका नाम धृष्टद्युम्न होगा। यह कुमारी कृष्ण वर्ण की हैं इनका नाम कृष्णा होगा।

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