कल हुज़ूर स अ व पैगम्बर मोहम्मद का जन्म दिन कोटा में बुराई और अच्छाइयों
के साथ मनाया गया ,,,,,,नाच गाना ,,ढोल तमाशा ,,,,बेतरतीब आतिशबाज़ी
,,जेबकतरी ,,चोरी चिकारी ,,,महिलाओं का गैर इस्लामिक प्रदर्शन तो था ही सही
लेकिन हुज़ूर स अ व की मुख सीख के रिज़्क़ की बेहुरमती न करो ,,,,,इस
सिद्धांत का भी खुलकर उलंग्घन हुआ ,,अनावश्यक रूप से शेखी के लिए पेट भरे
हुए लोगों को जिनको खाने पीने के सामानो की ज़रूरत नहीं थी दिखावे के तोर पर
पुलाव ,,ज़र्दा,, आइसक्रीम ,,खीर ,,हलवा ,,दूधः ,,वगेरा खूब खिलाया
,,पिलाया लेकिन अफ़सोस यह रहा के रिज़्क़ जो खुदा की नियामत है भूखे ,,गरीबों
के पेट का हिस्सा नहीं बना और सड़कों पर बिखरा पढ़ा रहा ,,,,,,,,,,इधर कुछ
लोगों ने नेकनामी के लिए इस मौके पर लोगों की ज़िंदगियाँ बचाने के लिए
खिदमते ख़ल्क़ का काम करते हुए रक्तदान शिविर लगाया ,,,,,,इस जुलुस में
फ़िज़ूलखर्ची दिल खोलकर हुई ,,किसका कोनसा किसतरह का कमाया हुआ रुपया इस पाक
मौके पर लगा अल्लाह बेहतर जानता है ,,लेकिन लाखों रूपये के इस दिखावे के
खर्च को अगर समेट कर गरीब गुरबा लोगों को ,,रोटी ,,कपड़ा ,,मकान ,,शिुक्षा
देने के लिए एक फंड बनाकर किया जाता तो कमसे कम हर साल एक करोड़ रूपये अलग
से फंड इकट्ठा हो सकता था जो गरीबों के कल्याण ,,शादी ,,ब्याह ,,शिक्षा
,,इलाज वगेरा जैसे पुनित कार्यों पर खर्च किया जाकर हुज़ूर स अ व की सीख का
परचम लहराया जा सकता था और नेक राह पर चलकर अमन ,,सुकून ,,खिदमते ख़ल्क़ के
पैगाम से दूसरे समाजों के सामने इस्लामिक उदाहरण ,,इस्लाम की सही तस्वीर
पेश की जा सकती थी ,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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