अपनी अपनी मेग्ज़ीनों में दूसरे के धर्मों के पैगम्बरों और देवी देवताओं के
कार्टून बनाकर मेगज़ीन बेचकर कमाई करने वाले लोगों के बाप ,,माँ बहन की
तस्वीरों के कार्टून बनाकर अगर बेचें तो उन्हें कैसा महसूस होगा ,,यह वाक
एवं अभिव्यक्ति की सुरक्षा की गलत परिपाटी की पैरवी करने वालों से भी एक
जलता हुआ सवाल है ,,क्या ऐसे लोग जिनके पिता ,,माता की तस्वीर का कार्टून
बनाकर भावनाए आहत करने के लिए प्रकाशन कर कमाई का ज़रिया बनाया जाए तब भी
वोह लोग इस परिपाटी को वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहेंगे या अपराध
कहकर इन्हे जेल भिजवाएंगे ,,,अख्तर
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