भोपाल. राष्ट्रपिता
महात्मा गांधी की हत्या के 66 साल बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हत्यारे
नाथूराम गोडसे को लेकर सफाई दी है। संघ ने हाल ही में प्रकाशित एक किताब
में गुरु गोलवलकर के उस समय के प्रेस वक्तव्यों और पत्रों का सहारा लिया।
इनके आधार कहा कि गांधी की हत्या भीषण त्रासदी थी। इस पर दुख होता है,
क्योंकि इसका खलनायक (गोडसे) देश का नागरिक होने के साथ ही हिंदू था।
किताब में लिखा गया है, ‘गोडसे विकृत मनोवृत्ति का शिकार था। उसका काम लज्जापूर्ण था। गांधी सरीखे महापुरुष की हत्या को संघ नेता अक्षम्य राष्ट्रविरोधी कार्य मानते हैं।’ गांधी की हत्या को लेकर संघ पर आरोप लगते रहे हैं। कांग्रेस भी गोडसे को आरएसएस का स्वयंसेवक कहती रही है। केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद से गांधी को लेकर अलग रुख सामने आया है।
महात्मा गांधी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के आइकॉन की तरह पेश कर रहे हैं। लिहाजा, आरएसएस भी अब गांधी की हत्या के आरोपों से हमेशा के लिए पीछा छुड़ाना चाह रहा है।
मुस्लिम हों या ईसाई, सबके पुरखे एक
किताब में लिखा गया है, ‘भारत में रहने वाला ईसाई या मुस्लिम भारत के
बाहर से नहीं आया। हम सबके पुरखे एक ही हैं। किसी कारण से मजहब बदलने से
जीवन दृष्टि नहीं बदलती। इसलिए उन सभी की जीवन दृष्टि भारत यानी हिंदू है।’
संघ के प्रचार विभाग द्वारा हाल ही में छपवाई गईं दोनों किताबों के अंक मौजूद हैं। इनका शीर्षक ‘आरएसएस एक परिचय’ और ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-सरल परिचय’ है। इसमें गांधी की हत्या, मुस्लिम और ईसाइयों से संघ के संबंध, महिलाओं को लेकर संघ का दृष्टिकोण सरीखे मामलों पर उसके नजरिए का खुलासा किया गया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)