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10 जनवरी 2015

बोको हरम ने मारे 2 हजार लोग: बच के आने वाले ने बताया-लाशों के ढेर पर चलकर आया


कानो। नाइजीरिया के बागा कस्बे पर कब्जे के बाद बोको हरम के आतंकियों ने 16 गांवों और कस्बों को तबाह कर दिया। बताया जाता है कि उसने एक साथ दो हजार लोगों को मार डाला। इस बड़े नरसंहार के एक प्रत्यक्षदर्शी मछवारे ने बताया कि वह लाशों के ढेर को पार करते हुए अपने गांव से बाहर निकल पाया। 38 साल के यानाये ग्रेमा ने बताया कि जब बोको हरम के आतंकी उसके गांव को तहस-नहस कर रहे थे, तब उसने तीन दिनों तक एक दीवार और पड़ोसी के घर के बीच छिपकर अपनी जान बचाई। 
टि्वटर पर चल रही यह तस्वीर बागा कस्बे की बताई जा रही है।
टि्वटर पर चल रही यह तस्वीर बागा कस्बे की बताई जा रही है।
 
चुन चुन कर गोली मारी  
ग्रेमा बोको हरम के खिलाफ लड़ने वाली नागरिक सेना का एक सदस्य था। यह गांवों में पहरेदारी का काम करती है और आतंकियों के खिलाफ नाइजीरिया सेना को सूचनाएं देती हैं। एएफपी को दिए इंटरव्यू में उसने बताया कि बीते शनिवार को हुआ हमला इतना जबरदस्त था कि हमारे छोटे हथियार भी उनके सामने नहीं टिक सके। कई लोग झाड़ियों में छिप गए तो कईयों ने खुद को घर में बंद कर लिया। बंदूकधारियों ने लोगों को झाड़ियों से निकालकर चुन-चुन कर गोली मारी। 
 
600 लोग बिना भोजन, पानी के 
ग्रेमा ने बताया कि उसने बीते छह सालों में बोको हरम के हमले का ऐसा भयावह रूप कभी नहीं देखा था। उसने बताया कि वह लाशों के ऊपर पैर रखकर निकला। इसके बाद पांच किलोमीटर का सफर तय करके मलाम करांती गांव पहुंचा था। लेकिन उसे भी जलाकर उजाड़ दिया गया था। स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि बीते सप्ताह हमले के बाद बागा कस्बे से 20 हजार लोग भागकर सीमा पार जा चुके हैं। वहीं, 600 के करीब लोग बिना खाने-पीने और आसरे के एक द्वीप पर फंसे हुए हैं।
 
मार्केट को लूट लगा दी आग
ग्रेमा ने बताया कि उसने लगातार बम धमाकों, बंदूक की आवाजें और मरते लोगों की चीखें सुनी थीं। आतंकी 'अल्लाह-हू-अकबर' के नारे लगा रहे थे। बीते शनिवार को हमले के बाद ग्रेमा मंगलवार को बाहर निकला था। उसने बताया कि वह हर रात चोरी-छिपे बाड़ को पार करते हुए अपने घर में जाता और खा-पीकर वापस छिपने की जगह पर आ जाता था। हमले के वक्त ग्रेमा का परिवार घर में नहीं था। वह 40 किमी. दूर कुकावा में था। ग्रेमा ने बताया कि बोको हरम के कुछ आतंकियों ने बागा कस्बे के बाहर कैम्प डाला हुआ था। वह दूर से जनरेटर की बिजली देख सकता था। वहां आतंकी जोर-जोर बात करते और हंसते थे। सोमवार तक कुछ आतंकियों के जाने के बाद कस्बे में कुछ ही बंदूकधारी रह गए थे। मंगलवार को आतंकियों ने मार्केट और घरों को लूटना शुरू किया। शाम को उन्होंने वहां भी आग लगा दी। इसके बाद मैंने अपने छिपने की जगह को छोड़ना मुनासिब समझा। रात में सफर किया, ताकि गहरे अंधेरे में कोई न देख पाए।
 
नागरिक सेना को बनाया निशाना
ऐसा पहली बार नहीं है कि बागा कस्बे पर इतना बर्बर हमला किया गया। अप्रैल 2013 में आतंकियों ने 200 लोगों की हत्या कर दी थी और कस्बे के कई इलाकों को आग के हवाले कर दिया था। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ बताते हैं कि इस बार का हमला नागरिक सेना (पहरेदार) को निशाना बनाकर किया गया। ये लोग सेना को आतंकियों के बारे में सूचना देने का काम करते हैं।

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