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28 दिसंबर 2014

IIT डायरेक्टर के इस्तीफे में नाम उछलने पर सचिन की सफाई, बोले- नहीं मांगी जमीन


नई दिल्ली. आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर रघुनाथ के. शेवगांवकर के इस्तीफे से जुड़े विवाद में क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर का नाम आने के बाद उन्होंने सफाई दी है। आईआईटी डायरेक्टर ने कथित तौर पर केंद्र सरकार द्वारा सचिन की क्रिकेट एकेडमी के लिए जमीन देने और बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की बकाया सैलरी के भुगतान को लेकर बनाए जा रहे दबाव के बाद रिटायरमेंट से दो साल पहले ही इस्तीफा दे दिया है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, आईआईटी दिल्ली  के एक सीनियर अफसर ने इस खबर की पुष्टि की। हालांकि, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से इस मामले की जानकारी होने से इनकार किया गया है।
IIT डायरेक्टर के इस्तीफे में नाम उछलने पर सचिन की सफाई, बोले- नहीं मांगी जमीन
 
सचिन ने रविवार को ट्वीट करके कहा,  ''मुझे जानकारी मिली है कि आईआईटी दिल्ली में मेरे नाम से क्रिकेट एकेडमी खोलने के लिए जमीन के मामले में विवाद पर डायरेक्टर ने इस्तीफा दिया है। मैं न तो एकेडमी खोलने जा रहा हूं और न मैंने कभी इस संबंध में कोई जमीन आईआईटी दिल्ली से मांगी है।'' वहीं, आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा, ''आईआईटी डायरेक्टर पर सरकार की ओऱ से दबाव डाला गया जो बहुत ही दुखद है। इससे पहले सरकार ने एम्स में दखल दिया था। स्वायत्त संस्थाओं पर दखल से सरकार को बचना चाहिए।'' 
 
क्या है मामला
आईआईटी सूत्रों के अनुसार, शेवगांवकर पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से दो मांगों को लेकर बहुत ज्यादा दबाव बनाया जा रहा था। पहला दबाव आईआईटी दिल्ली में सचिन तेंडुलकर की क्रिकेट एकेडमी के लिए जमीन देने को लेकर था। मंत्रालय चाहता था कि आईआईटी दिल्ली के ग्राउंड में सचिन को एकेडमी खोलने के लिए जमीन दी जाए। दूसरा मामला भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के बकाए से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। 1972 से लेकर 1991 के बीच आईआईटी दिल्ली में पढ़ा चुके स्वामी का 70 लाख रुपए का वेतन बकाया है। बताया जा रहा है कि मंत्रालय की ओर से इस बकाए को चुकाने को लेकर दबाव बनाया जा रहा था। 
 
विरोध कर रहे थे शेवगांवकर
बताया जा रहा है कि शेवगांवकर इन दोनों मांगों को मानने से इनकार कर रहे थे। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “शेवगांवकर आईआईटी परिसर में किसी भी कमर्शियल गतिविधि (क्रिकेट एकेडमी के लिए जमीन देने) के खिलाफ थे और उनका मानना था कि आईआईटी परिसर सिर्फ और सिर्फ स्टूडेंट और फैकल्टी के लिए ही रहे।”
 
बकाया सैलरी मांग रहे हैं स्वामी
सुब्रमण्यम स्वामी ने मांग की है कि 1972 से लेकर मार्च 1991 के बीच की सैलरी 18 फीसदी ब्याज के साथ दी जाए। उनकी इस मांग को पहले आईआईटी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ठुकरा दिया था। आईआईटी दिल्ली ने कहा है कि स्वामी ने उनसे पूछे गए सूचनाओं का जवाब नहीं दिया। स्वामी उसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट गए। आईआईटी ने कोर्ट से अपील की थी कि स्वामी की याचिका पर ध्यान न दिया जाए, मगर कोर्ट ने इस अपील को ठुकरा दिया।
 
मोदी के पीएम बनने के बाद एचआरडी का रूख बदला
मोदी के पीएम बनने के बाद से एचआरडी मिनिस्ट्री ने अपना स्टैंड बदल लिया। हाल ही में सरकार ने डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग से सलाह लिया था। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने हाल ही में शेवगांवकर और अन्य वरिष्ठ आईआईटी फैकल्टी के साथ स्वामी की बैठक कराई थी ताकि यह मामला हल हो जाए, लेकिन शेवगांवकर इसे कोर्ट के बाहर निपटाना नहीं चाहते थे। वे इस मामले को कोर्ट में ही हल करना चाहते हैं। डायरेक्टर का मानना है कि इस तरह कोर्ट के बाहर सेटलमेंट होने से एक गलत परंपरा कायम होगी। उनके अनुसार, इस केस में पॉलिटिकल तौर पर विशेष रुचि ली जा रही ह

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