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10 दिसंबर 2014

सत्यार्थी बोले- 'मेरी जिंदगी का एक ही मकसद, हर बच्चा एक बच्चा ही रहे'

सत्यार्थी बोले- 'मेरी जिंदगी का एक ही मकसद, हर बच्चा एक बच्चा ही रहे'
 
ओस्लो। बचपन बचाओ आंदोलन के प्रणेता कैलाश सत्यार्थी और लड़कियों की शिक्षा की पक्षधर पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को बुधवार को यहां संयुक्त रूप से शांति का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। नोबेल पुरस्कार के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी भारतीय और पाकिस्तानी को संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया गया।
 
गांधी की बात
सत्यार्थी ने अपने भाषण की शुरुआत वेद मंत्र के साथ की। उन्होंने कहा है कि सभी साथ-साथ चले और आगे बढ़ें। उन्होंने अपने मां-बाप, अपने साथियों के साथ उन हजारों बच्चों को याद किया, जिनको उन्होंने आजाद कराया था। उन्होंने कहा, "दुनिया भर की सरकारों को बच्चों के हित में कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि वह पूरी दुनिया से अपील करते हैं कि बच्चों के खिलाफ हिंसा बंद हाे। गांधी जी ने कहा था कि अगर दुनिया को शांति का पाठ पढ़ाना है तो इसकी शुरुआत बच्चों से करो। सत्यार्थी ने कहा है कि उनकी जिंदगी का एक ही मकसद है कि हर बच्चा बस बच्चा रहे। अगर बच्चों को सही शिक्षा नहीं मिली तो यह मानवता का बड़ा नुकसान होगा।
 
इस्लाम में हमेशा सच बोलना सिखाया
मलाला ने अपनी स्पीच में कहा कि वह पिता को धन्यवाद देती हैं, जिन्होंने उनके पर नहीं कतरे, बल्कि आजाद उड़ने दिया। मां को धन्यवाद देती हैं, जिन्होंने बताया कि इस्लाम हमेशा सच बोलना सिखाता है। यह सम्मान उन बच्चों के लिए है, जो दुनिया में बदलाव चाहते हैं। मलाला ने कहा, "हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले। हर महिला को बराबरी का हक मिले।" मलाला ने बताया कि सैलानियों के बीच मशहूर हमारी स्वात घाटी (पाकिस्तान) आतंकियों ने बर्बाद कर दी। लड़कियों की शिक्षा में पाबंदी थी। उनके पास दो ही रास्ते थे या तो चुप रहती या फिर मरने को तैयार रहती। उन्होंने दूसरा रास्ता चुना।
 
 
उन्होंने कहा, "कुरान में लिखा है कि अगर आप एक व्यक्ति की हत्या करते हैं तो पूरी मानवता की हत्या होती है। आतंकियों ने गोली से हमारी अावाज दबानी चाही, लेकिन हमारी आवाज और भी ज्यादा बुलंद हो गई। उनकी आवाज हर उस बच्ची की आवाज बन गई, जो पढ़ना चाहती है।" मलाला ने कहा कि  वह नोबेल पुरस्कार के पैसे को मलाला फंड को देंगी, ताकि यह बच्चियों की पढ़ाई के  काम आए। दुनिया के तमाम नेताओं से अपील है कि वह बच्चियों की पढ़ाई के लिए ठोस कदम उठाएं। जब तक हर बच्चा स्कूल नहीं जाता, मेरी लड़ाई जारी रहेगी। 
 
अमजद अली खान ने दी प्रस्तुति
नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में नोबेल पुरस्कार समारोह में मशहूर सरोद वादक अमजद अली खान अपने बेटों को अमान अली और अयान अली, पाकिस्तान के सूफी गायक राहत फतेह अली और अफगानिस्तान के पश्तो गायक सरकार अली टक्कर ने प्रस्तुति दी।
 
80 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त कराया
11 जनवरी,1954 को जन्मे और गांधीवादी परंपरा को मानने वाले कैलाश सत्यार्थी मध्य प्रदेश के विदिशा के रहने वाले हैं। उनके संगठन 'बचपन बचाओ आंदोलन' ने अभी तक करीब 80 हजार बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त करवाया है। सत्यार्थी लंबे समय से बच्चों को बाल मजदूरी से हटाकर उन्हें शिक्षा अभियान से जोड़ने की मुहिम चलाते रहे हैं। जबकि सिर्फ 14 साल की मलाला ने 4 साल की उम्र से ही लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में आवाज उठाई थी, क्योंकि तब स्वात पर तालिबान के कब्जे के बाद सारे स्कूल बंद कर दिए गए थे। मलाला को आवाज उठाने की कीमत चुकानी पड़ी और स्कूल से लौटते समय आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया। आतंकियों ने मलाला के सिर में गोली मार दी, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए लंदन लाया गया और अब वह लड़कियों की शिक्षा को लेकर पूरे दुनिया का चेहरा बन चुकी हैं।

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