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05 दिसंबर 2014

कोर्ट में वकीलों ने पूर्व सांसद को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा, कपड़े भी फाड़ डाले

फोटोवकीलों ने न केवल पूर्व सांसद की जमकर पिटाई की, बल्कि उनके कपड़े तक फाड़ डाले 
 
लखनऊ. शुक्रवार को कोर्ट में पूर्व सांसद और व्‍यापारी नेता बनवारी लाल कंछल को वकीलों ने जमकर पि‍टाई की। यहां तक कि‍ लखनऊ कचहरी में वकीलों ने कंछल के कपड़े फाड़ कर नंगा तक कर डाला। कि‍सी तरह उन्‍होंने बनि‍यान लपेट कर अपनी इज्‍जत बचाई। इस घटना की वजह बीते महीने अमीनाबाद प्‍लाइवुड की जमीन कब्‍जा करने को लेकर वकीलों से उनका वि‍वाद बताया जा रहा है, क्‍योंकि‍ वे मामले को राजनीति‍क रंग दे रहे थे। हालांकि‍, सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि‍ कोर्ट परिसर में तैनात पुलिस और प्रशासन के लोग इस घटना को मूकदर्शक बनकर देखते रहे। वहीं, इस घटना से गुस्‍साए व्‍यापारि‍यों ने शनि‍वार को लखनऊ बंद का एलान कि‍या है। 
 
बताते चलें कि‍ जब वकील कोर्ट में तांडव मचा रहे थे तो मौके पर तैनात जिम्मेदार लोग वहां से अपनी नजरें बचाकर निकल रहे थे। इस दौरान कि‍सी ने बीच-बचाव भी नहीं कि‍या। बाद में मामले की जानकारी 100 नंबर पर पुलिस को दी गई। हालांकि‍, जब तक पुलिस पहुंचती वकीलों ने बनवारी लाल कंछल की जमकर धुनाई कर दी थी। वह अपने बनियान को लपेटे हुए बड़ी मुश्किल से कोर्ट परि‍सर से बाहर निकले।
 
पेशी पर गए थे पूर्व सांसद कंछल
बनवारी लाल कंछ्ल बीते 17 नवंबर को वकीलों से हुए वि‍वाद के मामले में ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट तृतीय के यहां शुक्रवार को पेशी पर अपना बयान दर्ज करवाने गए थे। कंछल के अनुसार, बयान दर्ज कराकर जब वह निकल रहे थे तो विपक्षी वकीलों के गुट ने उन्हें रोक लिया और गाली-गलौच शुरू कर दिया। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो वकील उन पर टूट पड़े और जमकर पिटाई कर दी। इसके साथ ही वकीलों के एक गुट ने उनकी गाड़ी पर भी जमकर पथराव किया और सारे शीशे तोड़ डाले। किसी तरह वह नंगे ही जान बचाकर भागते हुए शास्त्री नगर स्थित अपने घर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी।
 
कपड़े फाड़ कर किया नंगा
पीड़ि‍त पूर्व सांसद के अनुसार, वकीलों का मन पिटाई के बाद भी नहीं भरा तो सभी ने उनके कपड़े फाड़ते हुए उन्हें नंगा कर दिया। बड़ी मुश्किल से उन्होंने अपने बनियान से अपनी इज्जत बचाई।


फोटो: पि‍टाई के बाद पूर्व सांसद कंछल को बीच सड़क पर बनाया मुर्गा।
 
वकीलों के चंगुल में फंसे बनवारी लाल कंछ्ल खुद को आजाद करने की गुहार लगाते रहे, लेकिन वकीलों ने उनकी एक भी नहीं सुनी। उन्हें पीटते हुए मुर्गा बनाया। इसके बाद पैरों के जूते उतरवाए। फि‍र एक दो वकीलों के दखल के बाद कंछल वहां से कि‍सी तरह भागे।
 
नौ नामजद सहित 34 लोगों पर दर्ज मामला
घटना के बाद बनवारी लाल कंछ्ल ने नौ नामों सहि‍त सहित 34 लोगों के खि‍लाफ केस दर्ज करवाया है। इनमें मुख्‍य रूप से अभय यादव, शशांक सिंह तोमर, जनार्दन बाजपेयी, शशिकांत, शरद कुमार, मनोज, धनराज और साकेत हप्ता के अलावा 26 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कि‍या गया है।  Next Image

 
लाखों के हूजूम के नेता कहे जाने वाले पूर्व सांसद बनवारी लाल कंछल को वकीलों ने जमकर पि‍टाई तो की ही, साथ ही उनका कपड़ा फाड़कर नंगा कर दि‍या। कि‍सी तरह वह अपनी बनि‍यान से इज्‍जत बचाकर कचहरी से अकेले बाहर नि‍कल रहे थे। इस दौरान उनकी आंखों में अपमान का दर्द साफ झलक रहा था। वह फफक कर रो रहे थे। वहां मौजूद लोग उन्‍हें ऐसे देख रहे थे मानो वह कंछल हैं ही नहीं, जबकि‍ इनके पीछे लाखों का हुजूम चलता था।
 
कौन हैं बनवारी लाल कंछल
बनवारी लाल कंछल व्यापारियों के पुराने नेता हैं। व्यापारियों के अलावा वैश्य समाज पर भी उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती थी। इसी के चलते समाजवादी पार्टी की नाव पर सवार होकर वे 2007 में राज्यसभा तक पहुंच गए। हालांकि‍, आजकल उनका समय कुछ अलग ही चल रहा है। वह किसी भी राजनीतिक दल में नहीं हैं। अभी कुछ महीने पहले ही बसपा ने उन्हें बाहर कर दिया है। अपने खोए जन समर्थन को पाने के लिए ही वह इस समय व्यापारियों के हर मामले में दखल देते हैं। बहरहाल, उन्हें एक राजनीतिक दल की तलाश है जिसके सहारे वह किसी तरह राजनीति की सीढ़िया चढ़ सकें। व्यापारियों के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले कंछल की एक समय सभी राजनीतिक पार्टियों में बहुत पूछ थी।
 
पाला बदलने के माहिर खिलाड़ी हैं कंछल
नाम और शोहरत हासिल करने के बाद भी बनवारी की महत्वाकांक्षा कभी समाप्त नहीं हुई। यही वजह थी कि उनके नेता बनने के तौर-तरीक़ों पर उनके संगी-साथी और व्यापारी समय-समय पर तरह-तरह के सवाल उठाते रहे। हालांकि‍, एक-एक कर उन्होंने सभी दलों का मुंह देख लिया। हाल ही में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कंछल ने कहा था कि उनकी आस्था सपा के साथ है और सपा प्रमुख से बातचीत हो चुकी है। मुलायम सिंह के बुलावे पर वह कभी भी सपा में जा सकते हैं, लेकिन प्रश्न यह उठता है कि मुलायम सिंह यादव भी इस बात को नहीं भूले होंगे कि 17 अप्रैल 2009 को कंछल ने उस समय सपा का साथ छोड़ा था  जब सपा संकट के दौर से गुज़र रही थी।
 
कंछल उस समय राज्यसभा के सदस्य थे। मुलायम सिंह ने ही उन्हें वहां तक पहुंचाया था, लेकि‍न कंछल ने मुलायम सिंह के सारे अहसानों पर पानी फेर दिया और मुलायम की दुश्मन नंबर वन मायावती से जा मिले। राज्यसभा सदस्यता से भी उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। कंछल को उम्मीद थी कि बसपा भी उन्हें राज्यसभा भेज देगी। इसके लिए उन्होंने सौदेबाज़ी भी की। हालांकि‍, उनकी करतूतों से तंग आकर बसपा ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दि‍या। इसके बाद एक सजातीय केंद्रीय मंत्री के ज़रिए उन्होंने कांग्रेस में घुसपैठ का प्रयास किया, लेकि‍न वहां भी विरोध शुरू हो गया। कांग्रेस में घुसपैठ के लिए उन्होंने केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और कई नेताओं को अपने समारोह में बुलाया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
इस मामले की जानकारी होते ही शहर के तमाम व्यापारी जमा हो गए और जमकर हंगामा किया। व्यापारियों का कहना है कि‍ इस अपमान को वे सहन नहीं करेंगे। इसका बदला लेंगे। इसके बाद देर शाम व्‍यापारि‍यों ने रकाबगंज में वि‍रोध में प्रदर्शन कि‍या। साथ ही हजरतगंज में मशाल जुलूस निकाला।
 
शनि‍वार को लखनऊ रहेगा बंद
व्यापार मंडल ने कंछल पर हुए हमले के विरोध में शनिवार को लखनऊ बंद का ऐलान किया है। इसके अलावा सभी व्यापारी हजरतगंज में गांधी प्रतिमा पर इस हमले के विरोध में धरना देकर अपनी नाराजगी जाहिर करेंगे। अखिल भारतीय व्यापार मंडल के नेताओं ने कार्यकारिणी के सभी नेताओं के एक स्वर में सुर उठ रहे हैं कि यदि‍ शनि‍वार तक सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो फिर राष्ट्रव्यापी बंद का आयोजन किया जाएगा।
 
क्या कहती है पुलिस
मामला संज्ञान में आने के बाद एएसपी पश्चिम और एसओ वजीरगंज अभिनव सिंह पुंढीर उनके घर पहुंचे औएर उन्हें पुलिस सुरक्षा में बलरामपुर अस्पताल मेडिकल के लिए लेकर आए। एसओ पुंढीर ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच की जा रही है।
अमीनाबाद के हिवेट रोड पर एक दुकान है जिसके मालिक अमित अग्रवाल हैं। अमित के मुताबिक, उन्होंने अपनी दुकान सूरज को किराए पर दी थी, लेकिन करीब चार माह पूर्व उसने दुकान बंद कर दी थी। उसन दुकान का किराया भी नहीं दिया था। उधर, उक्त दुकान का ताला खोलकर एक व्‍यक्‍ति‍ धनराज बाजपेई अपने साथियों संग अंदर दाखिल हो गए। दुकान में धनराज और उनके साथी वकीलों के दाखिल होने की सूचना मिलने पर अमित अग्रवाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने धनराज से बात की तो पता चला कि सूरज ने दुकान का एग्रीमेंट उनके नाम पर किया है।
 
इसी बात को लेकर अमित अग्रवाल और धनराज के बीच विवाद शुरू हो गया। अमित के मुताबिक, दुकान मेरी है ऐसे में सूरज किसी और को एग्रीमेंट कैसे कर सकता है। वहीं धनराज का पक्ष था कि एग्रीमेंट उसके नाम है, इसलिए दुकान पर उसका हक है। इसे लेकर अमित और धनराज के बीच काफी देर तक कहासुनी होती रही। इस बीच अमित ने उनकी दुकान पर वकीलों द्वारा जबरन कब्जा किए जाने की सूचना व्यापार मंडल के पदाधिकारियों को दी।
 
इसके बाद राष्ट्रीय व्यापर मंडल के अध्यक्ष और पूर्व बनवारी लाल कंछल समेत भारी तादाद में व्यापारी मौके पर पहुंच गए और वकीलों का विरोध करने लगे। देखते ही देखते संख्या बल में अधिक व्यापारियों ने वकीलों की पिटाई कर दी थी। विवाद के बाद पहुंची पुलिस ने अमित अग्रवाल की तहरीर पर शशिकांत बाजपेई, धनराज बाजपेई और शक्ति गुप्ता के खिलाफ बलवा करने और लूट की धारा में मामला दर्ज किया था। दूसरी तरफ धनराज की तहरीर पर अमित अग्रवाल, लल्लू, अमरनाथ मिश्रा, हरशिचन्द्र, गोविन्द और बनवारी लाल कंछल के खिलाफ बलवा और मारपीट की धारा में एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

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