आपका-अख्तर खान

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12 दिसंबर 2014

बे दर्द होकर पूंछते है कैसे है

उठते है जी लेते है
तुम्हारी तस्वीर देखकर
इन्तिज़ार  करते है
तुम्हारा तुम्हारी अदाएं सोच कर
साँसे रुक रही है अब तो
तुम्हारे इन्तिज़ार में
जी रहे है या मर रहे है पता नहीं
बस दिल बेक़रार है
दिल की हर धड़कन में
आपका सिर्फ आपका ही नाम है
इस जुर्म की सज़ाएं तो बहुत है
लेकिन फिर भी
मोत पर आकर सभी सजाये खत्म है
न कोई दवा है इस बीमारी की
बस यह बिमारी ला इलाज है
आप को इन सब का अहसास नहीं
इसीलिए तो
आप बे दर्द होकर पूंछते है कैसे है
तो लो आज हम भी कहते है
अच्छे है ,,ठीक है ,,खुश है बस आप भी खुश ,,,,,,अख्तर

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