जकार्ता. 155 यात्रियों और सात क्रू मेंबर्स के साथ रविवार को गायब हुए एयर एशिया
के विमान का अब तक कुछ पता नहीं चला है। विमान को खोजने के लिए इंडोनेशिया
के समुद्री क्षेत्र को खंगाला जा रहा है। इंडोनेशिया के सुराबाया से
सिंगापुर के लिए निकले एयर एशिया विमान के समुद्र में क्रैश होने की आशंका
जताई जा रही है। इंडोनेशिया की राष्ट्रीय खोज एवं बचाव एजेंसी के प्रमुख ने
सोमवार को पत्रकारों से कहा कि विमान का मलबा जावा समुद्र की गहराई में हो
सकता है। वहीं दूसरी ओर, खोज अभियान में लगे ऑस्ट्रेलियाई विमान को प्लेन गायब होने की लोकेशन से 1,120 किलोमीटर दूर समुद्र में कुछ मलबा मिला
है। जकार्ता के एयरफोर्स बेस कमांडर रियर मार्शल वी पुटरेंटो ने इसकी
जानकारी दी। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं की गई है कि यह विमान का मलबा है या
कुछ और। इंडोनेशियाई मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बेलितुंग आइलैंड के कुछ
मछुआरों ने विमान के गायब होने की लोकेशन पर जोरदार धमाके की आवाज सुनी
थी। मछुआरों ने यह आवाज उसी दौरान सुनी, जब विमान का एयर ट्रैफिक कंट्रोल
से संपर्क टूटा। आपदा प्रबंधन समूह के एक सदस्य ने इंडोनेशियाई न्यूज
वेबसाइट को बताया कि कई मछुआरों ने धमाके की आवाज सुनी है। हालांकि, इसकी
पुष्टि नहीं हुई है। अभी कई सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं। इनमें सबसे बड़ा
सवाल तो यही है कि आखिर क्या हुआ होगा इस विमान के साथ?
जवाब: पुख्ता तौर पर कुछ कहना कठिन है। लेकिन कुछ संभावनाएं
हैं जो विमान दुर्घटना से जुड़ सकती हैं। विमान जिस ऊंचाई पर उड़ रहा था,
उसे उड़ान के लिए सुरक्षित माना जाता है। साल 2004 से 2013 के बीच हुए
विमान हादसों में इस ऊंचाई पर दुर्घटनाओं का प्रतिशत महज 10 है। ज्यादा
ऊंचाई पर डिकम्प्रेशन थ्योरी और हाइपोक्सिया थ्योरी काम करती है। एटीसी से
संपर्क टूटने से पहले एयर एशिया के एक पायलट ने उड़ान की ऊंचाई 32 हजार से
38 हजार फीट करने की इजाजत मांगी थी। एविएशन एक्सपर्ट सीन मैफेट के
मुताबिक, डिकम्प्रेशन थ्योरी के ये मायने हैं कि विमान 45 हजार फीट की
ऊंचाई तक पहुंच जाए और वहां उस पर इतना दबाव पड़े कि चालक दल और यात्री उसे
सहन नहीं कर पाएं। ऐसे में, विमान समुद्र में गिर गया होगा। हाइपोक्सिया
थ्योरी में यह कहा गया है कि विमान पर अत्यधिक दबाव पड़ने के कारण उसमें
ऑक्सीजन पूरी तरह से खत्म हो गया हो और यात्रियों को ऑक्सीजन मास्क लगाने
का समय भी न मिला हो। ऐसे में, दम घुटने से सभी की मौत हो गई होगी और विमान
बेकाबू होकर समुद्र में गिर गया होगा।
एयर एशिया का जो विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है, उसमें अति आधुनिक
कम्प्यूटर्स लगे थे जो खराब मौसम में भी फ्लाइट को ऑटो एडजस्ट कर सकते थे।
हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि खराब मौसम और पायलट की
गलती, इन दोनों वजह से विमान हादसे का शिकार हो गया हो। इस तरह की गलती से
ही 2009 में एयर फ्रांस का एक विमान अटलांटिक महासागर के ऊपर क्रैश हो गया
था।
एक संभावना यह भी है कि टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान विमान किसी बाहरी टूट-फूट का शिकार
हुआ हो और उड़ान के दौरान हवा में बने दबाव से यह दुर्घटना हुई हो।
हालांकि, यह संभावना ज्यादा मजबूत इसलिए नहीं लगती, क्योंकि विमान केवल
छह साल पुराना था और इसने 13600 बार ही लैंडिंग या टेक ऑफ किए थे।
एविएशन एक्सीडेंट एक्सपर्ट जॉन कॉक्स के मुताबिक, इंडोनेशिया और आसपास
के समुद्री इलाकों में विमान आमतौर पर चक्रवाती तूफान जैसे हालात में भी
उड़ान भरते हैं। इसे उस क्षेत्र में इसलिए हल्के में लिया जाता है, क्योंकि
विमानों में ऑन बोर्ड राडार के जरिए पायलट किसी भी तूफान को 100 मील दूरी
से ही देख लेते हैं। विमान की रफ्तार 8 मील प्रति मिनट होती है। ऐसे में,
उनके पास रास्ता बदलने की पर्याप्त गुंजाइश होती है। जिस वक्त और जिस
इलाके में एयर एशिया का विमान राडार से गायब हुआ, लगभग उसी वक्त और उसी
इलाके में 44 हजार फीट की ऊंचाई पर चक्रवाती तूफान वाले बादल थे।
एक अन्य संभावना यह है कि विमान किसी आतंकी हमले का शिकार हुआ हो।
हालांकि, इस बात को पुष्ट करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं। मार्च में जब
मलेशिया का एमएच 370 विमान लापता हुआ था, तब भी यह कहा गया था कि
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, चेचन्या या फिर यूक्रेन के आतंकियों
ने उसे हाईजैक कर लिया है। हालांकि, विमान का अब तक पता नहीं चला है।
सवाल: एटीसी से आखिरी बातचीत से अनहोनी के कोई संकेत हैं क्या?
जवाब: पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स (एटीसी) के बीच बातचीत से ऐसा
संकेत नहीं मिलता। पायलट और एटीसी के बीच आखिरी बातचीत रविवार सुबह 6:13
बजे (इंडोनेशियाई समयानुसार) हुई थी। पायलट के स्वर में किसी प्रकार की
घबराहट नहीं थी। एटीसी ने उससे कहा था कि वह विमान को बाईं तरफ मोड़कर 34
हजार फुट से ज्यादा की ऊंचाई पर ले जाए। पायलट ने किसी अनहोनी की आशंका भी
व्यक्त नहीं की थी। वैसे भी, पायलट इस बात के लिए ट्रेंड होते हैं कि इन
स्थितियों में पहले हालात को किसी तरह काबू करें और उसके बाद ही एटीसी से
बात करें। इस बातचीत के केवल तीन मिनट बाद ही यह एयरक्राफ्ट राडार से गायब
हो गया था।
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